Data Story : मात्र 14 दिन में कोरोना ने ली 50 हजार की जान, 14 माह में 2.50 लाख से ज्यादा की मौत

नृपेंद्र गुप्ता

बुधवार, 12 मई 2021 (13:15 IST)
नई दिल्ली। देश में कोरोनावायरस का कहर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। कोरोना की दूसरी लहर ने देश में भारी तबाही मचाई है। महामारी की वजह से मार्च 2021 में 5 हजार 830 लोग मारे गए थे तो अप्रैल के 30 दिनों में 45,403 लोगों की मौत हो गई।
 
कोरोना की पहली लहर : पहली लहर में 12 मार्च 2020 को देश में कोरोना से पहली मौत हुई थी। 16 जुलाई तक इस महामारी से 25 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके थे। 16 अगस्त तक 50 हजार लोग काल के गाल में समा गए तो 16 सितंबर तक 75 हजार लोगों की मौत हो गई। कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा यहीं नहीं थमा, 2 अक्टूबर तक भारत में 1 लाख लोगों की मौत हो चुकी थी। इस तरह कोरोना की पहली लहर में मात्र 2.5 माह में 75 हजार लोग मारे गए।
दूसरी लहर का कहर : इसके बाद कोरोना की दूसरी लहर आई। मार्च 2021 की बात करें तो 1 तारीख को मौत का आंकड़ा 91 था, जबकि 31 मार्च आते-आते यह ग्राफ चढ़कर 459 तक पहुंच गया। अप्रैल और मई में कोरोना की वजह से मरने वालों का आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़ा।
 
मात्र 24 दिन में 1000 से 4000 तक पहुंचा मौत का आंकड़ा : देश में 14 अप्रैल को पहली बार कोरोना से 1027 लोगों की मौत हुई थी, 21 अप्रैल के बाद प्रतिदिन 2000 से ज्यादा लोगों की जान जाने लगी। 28 अप्रैल के बाद महामारी से रोज 3000 से ज्यादा लोग मरने लगे। 8 मई को मृतक संख्या 4000 के पार पहुंच गई।
 
कोरोना ही नहीं कोरोना को मौत देने वाले भी बड़ी संख्या में हार्ट अटैक से मारे गए। श्मशानों में अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ गई। 
 
28 अप्रैल तक कोरोना देश में 2 लाख लोगों की जान ले चुका था। 12 मई तक देश में कोविड-19 की वजह से मृतकों की संख्या 2.5 लाख के पार पहुंच गई। इस तरह मात्र 14 दिन में कोरोना की वजह से 50 हजार लोगों की जान चली गई।
 
इस तरह बढ़ी कोरोना की रफ्तार : देश में कोविड-19 के मरीजों की संख्या पिछले साल 7 अगस्त को 20 लाख को पार कर गई थी। वहीं कोविड-19 मरीजों की संख्या 23 अगस्त को 30 लाख, 5 सितंबर को 40 लाख और 16 सितंबर को 50 लाख के आंकड़े को पार कर गई थी। 
 
इसके बाद 28 सितंबर को कोविड-19 के मामले 60 लाख, 11 अक्टूबर को 70 लाख, 29 अक्टूबर को 80 लाख, 20 नवंबर को 90 लाख, 19 दिसंबर को एक करोड़ के पार हो गए थे। भारत ने चार मई को गंभीर स्थिति में पहुंचते हुए दो करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया था।

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