लैबोरेटरी एक्सपेरिमेंट में ही डीआरडीओ और हैदराबाद के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मोलेक्युलर बायोलॉजी के वैज्ञानिकों ने पाया कि इसके अणु कोरोनावायरस के खिलाफ प्रभावी तौर पर असर करता है और उनका विकास रोक देता है। 2020 के मई से अक्टूबर के बीच फेज 2 का ट्रायल हुआ और पाया गया कि कोविड मरीजों को देने के लिए यह एक सुरक्षित दवा है।
फेज दो का ट्रायल दो हिस्सों में 110 मरीजों पर पूरा किया गया। पहले हिस्से का प्रयोग 6 अस्पतालों में और दूसरे हिस्से का प्रयोग 11 अस्पतालों में किया गया। तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल पिछले साल दिसंबर से लेकर इस साल मार्च तक देश के 27 कोविड अस्पतालों में 220 मरीजों पर किया गया। दिल्ली, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के अस्पतालों में ये ट्रायल किए गए।