नेहरा ने कहा, आईसीएमआर और एसवीपी अस्पताल के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुआ है और देश में पहली बार अध्ययन केंद्र के लिए त्वरित मंजूरी प्रदान की गई। उन्होंने कहा कि ठीक हो गए मरीज से संक्रमित मरीज में प्लाज्मा चढ़ाने के बारे में केंद्र में सबसे पहले अध्ययन होगा।
नेहरा ने कहा, एक या दो मरीजों पर अध्ययन नहीं होगा बल्कि विस्तृत शोध होगा और यह जटिल प्रक्रिया है। हम इस संबंध में लगातार आईसीएमआर के संपर्क में है। बहरहाल, एसवीपी अस्पताल ने अध्ययन के लिए प्लाज्मा देने को तैयार एक और व्यक्ति की पहचान की है। व्यक्ति से लिए गए प्लाज्मा को संक्रमित मरीज में चढ़ाया जाएगा।
दिशा-निर्देशों के तहत इस पद्धति का उपचार शुरू करने के लिए अस्पताल और संस्थानों को प्रायोगिक तौर पर ऐसा करना चाहिए और संस्थानिक आचार समिति द्वारा मंजूर सभी शर्तों का पालन होना चाहिए। फिलहाल, आईसीएमआर ने प्रायोगिक परीक्षण के अलावा इस उपचार को अपनाने की सिफारिश नहीं की है। (भाषा)