नई दिल्ली। रेलवे ने लोगों खासतौर पर देश के छोटे कस्बों और शहरों में रहने वालों को बड़ी राहत देते हुए रोजाना 200 विशेष रेलगाड़ियां चलाने का फैसला किया है। यह घोषणा रेलवे ने मंगलवार को की।
इन रेलगाड़ियों में गैर वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी के डिब्बे होंगे और ये रोजाना चलेंगी। ये रेलगाड़ियां मौजूदा समय में प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह प्रदेश पहुंचाने के लिए चलाई जा रही श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों एवं राजधानी ट्रेन के रूट पर दिल्ली से 15 शहरों के लिए चलाई जा रही विशेष रेलगाड़ियों के अलावा होंगी।
इन रेलगाड़ियों में सफर करने के लिए सभी श्रेणी के यात्रियों को ऑनलाइन टिकटों की बुकिंग कराने की अनुमति होगी। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया, ‘भारतीय रेलवे एक जून से समयसारिणी के अनुरूप रोजाना 200 गैर वातानुकूलित रेलगाड़ियों का परिचालन करेगा, जिनमें सफर करने के लिए टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग जल्द शुरू होगी।’
रेलवे को अभी यह तय करना है कि ये रेलागाड़ियां किस रूट पर चलायी जाएंगी लेकिन अधिकारियों ने बताया कि यह छोटे कस्बों और शहरों के लिए हो सकती हैं। इससे पहले रेलवे ने 30 जून तक के लिए सभी नियमित यात्री रेलगाड़ियों को रद्द कर दिया था।
रेलवे ने कहा कि इन 200 रेलगाड़ियों को चलाने से उन प्रवासियों को भी मदद मिलेगी जो किसी कारण श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों की सुविधा नहीं ले पा रहे हैं। रेलवे ने कहा, इस बात की कोशिश की जाएगी कि वे (प्रवासी) जहां पर हैं वहीं पर नजदीक के रेलवे स्टेशन से रेलगाड़ी में सवार हो सकें।
रेलवे ने राज्य सरकारों से भी उन प्रवासी कामगारों की पहचान करने और उनकी स्थिति का पता लगाने को कहा है, जो पैदल ही अपने गृह प्रदेशों के लिए निकल पड़े हैं ताकि नजदीकी जिला मुख्यालय में उनका पंजीकरण कराकर नजदीकी रेलवे स्टेशन से रेलगाड़ियों के जरिये उन्हें आगे के सफर पर भेजा जा सके। राज्यों से इन यात्रियों की सूची भी रेलवे प्रशासन को मुहैया कराने को कहा गया है ताकि श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों से उन्हें आगे की यात्रा पर भेजा जा सके।
पटरी पर दौड़ा सबसे शक्तिशाली इंजन : देश में निर्मित अब तक के सर्वाधिक शक्तिशाली 12000 अश्व शक्ति (एचपी) क्षमता के रेल इंजन का पहली बार उत्तरप्रदेश के दीनदयाल उपाध्याय और शिवपुर स्टेशनों के बीच सोमवार को वाणिज्यिक परिचालन हुआ। रेलवे ने यह जानकारी दी।
फ्रांस की कंपनी एल्सतॉम द्वारा तैयार ये इंजन सर्वाधिक शक्तिवाले रेल इंजन हैं जो देश की पटरियों पर दौड़ेंगे। इसका विनिर्माण सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत बिहार के मधेपुरा जिले में स्थिर कारखाने में हुआ है।
अनुबंध के तहत 800 इंजनों का विनिर्माण देश में किया जा रहा है। इनका डिजाइन कंपनी के बेंगलुरू स्थित इंजीनियरिंग केंद्र में हुआ है। पहली ट्रेन 118 माल डिब्बों के साथ दोपहर 2.08 बजे दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन से धनबाद डिविजन के लिए रवाना हुई।
रेलवे के बयान में कहा गया कि इंजन परंपरागत ओएचई (ओवर हेड) लाइन के साथ-साथ मालगाड़ियों के लिये अलग से बनाई गई उच्च ओएचई लाइन पर चलने में सक्षम है। इसमें इंजन के दोनों तरफ चालकों के लिए एयरकंडीशन कैबिन है।
बयान के अनुसार कि यह ‘रिजनरेटिव ब्रेकिंग’ प्रणाली से युक्त है। इससे परिचालन के दौरान ऊर्जा की अच्छी-खासी बचत होती है। उच्च अश्व शक्ति क्षमता के इंजन मालगाड़ियों की औसत गति बढ़ाकर पटरियों पर भीड़-भाड़ की स्थिति कम कर सकेंगे।
रेलवे की सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) परियोजना के तहत रेल मंत्रालय और एल्सतॉम ने 2015 में 25,000 करोड़ रुपए संयुक्त उद्यम बनाने का समझौता किया था।
परियोजना के तहत कंपनी मालगाड़ियों के 12000 एचपी के 800 इलेक्ट्रिक इंजन बनाएगी और 11 साल तक उसके रखरखाव से जुड़ी रहेगी।