नई दिल्ली। पिछले 9 महीने में रेलवे के करीब 30,000 कर्मी कोरोनावायरस से संक्रमित हो गए और सूत्रों के अनुसार इनमें से करीब 700 कर्मचारियों की मौत हो गई। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि जान गंवाने वाले अधिकतर कर्मी महामारी के दौरान ट्रेनों की आवाजाही सुगम बनाने के लिए आम जनता के बीच काम कर रहे थे।
यादव ने कहा कि सच है कि करीब 30,000 रेल कर्मचारी कोविड-19 से पीड़ित हुए। हालांकि जिस तरह से हमने अपने कर्मचारियों का उपचार कराया, उनमें से अधिकतर संक्रमण से उबर चुके हैं। हालांकि कुछ दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हुई हैं। रेलवे ने हर जोन और मंडल में कोविड देखभाल केंद्र और कोविड उपचार केंद्र खोले हैं और हमने अपने प्रत्येक कर्मचारी का ख्याल रखा है।
उन्होंने कहा कि शुरुआत में हमने कोविड देखभाल के लिए 50 अस्पताल तैयार किए थे और अब ऐसे 74 अस्पताल हैं। सूत्रों ने शनिवार को बताया कि अब तक मृतकों की संख्या करीब 700 है। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस के कारण जान गंवाने वाले 700 में से अधिकतर कर्मी आम जनता से सीधे संपर्क में थे और उन्हें बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा था। वे अग्रिम पंक्ति के कर्मी थे जिन्होंने रेलवे को प्रवासियों की आवाजाही सुगम बनाने तथा विशेष ट्रेनों के संचालन में मदद की। वे प्लेटफॉर्म पर थे और ऐसे स्थानों पर थे, जहां संक्रमण होने का सबसे अधिक खतरा था। वे रेलवे के गुमनाम नायक थे।
रेल मंत्रालय ने संसद में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि अपने कर्तव्य निभाने के दौरान जान गंवाने वाले रेलवेकर्मियों के परिवारों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाता। जवाब के अनुसार पेंशन तथा पेंशनभोगी कल्याण विभाग के दिशा-निर्देशानुसार अनुग्रह राशि के रूप में मुआवजा दिया जाता है। हालांकि इन दिशा-निर्देशों में किसी बीमारी से मृत्यु शामिल नहीं है। (भाषा)