दुनिया के इन 10 देशों में नहीं है Coronavirus, आखिर क्या है वजह?
सोमवार, 20 दिसंबर 2021 (13:34 IST)
कई देशों में कोरोना वायरस और ओमिक्रॉन वैरिएंट पसर रहा है, लेकिन दुनिया के 10 देश ऐसे भी हैं, जहां कोरोना का एक भी केस नहीं मिला, आखिर क्या वजह है कि दूसरे देशों में यात्राओं पर प्रतिबंध लगाने और वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना फैल रहा है और इन 10 देशों में नहीं।
वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। अमेरिका में मरने वालों का आंकड़ा 8 लाख से अधिक हो गया है और संक्रमण की दर लगातार बढ़ रही है।
जानकर हैरानी होगी कि कुछ देशों में साल 2019 के बाद से अब तक एक भी कोविड-19 का मामला सामने नहीं आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार इन 10 देशों में जीरो केस दर्ज किए गए हैं। इन देशों और क्षेत्रों में से अधिकांश प्रशांत और अटलांटिक महासागरों में द्वीप पर स्थित हैं और ऐसी संभावना है कि वे केवल समुद्र की सीमा के कारण ही बीमारी से बच सके हैं।
इनमें से कुछ देशों ने सख्त यात्रा नियम लागू किए हैं। जिससे उन्हें संक्रमण को रोकने पाने में सफलता हासिल हुई है। एक देश में लोगों पर प्रतिबंध तानाशाही के तहत लगाए गए हैं।
इस वजह से यहां का सटीक डाटा मिल पाना मुश्किल है। हालांकि इन देशों ने जीरो कोविड-19 मामलों की सूचना दी है। ऐसे में इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि यहां वाकई में मामलों को छिपाया गया है। लेकिन इन देशों में नहीं आया एक भी कोरोना केस।
उत्तर कोरिया- तुर्कमेनिस्तान की तरह ही उत्तर कोरिया (North Korea) ने भी अभी तक कोरोना का कोई केस मिलने की पुष्टि नहीं की है। यहां तानाशाह किम जोंग उन का शासन चलता है। जिन्होंने देश की सीमाएं भी बंद कर दी हैं।
तोकेलाऊ- यह देश दक्षिण प्रशांत महासागर में तीन उष्णकटिबंधीय प्रवाल द्वीपों से मिलकर बना है। यहां भी वायरस का कोई मामला नहीं मिला है। करीब 1500 लोगों की आबादी वाले इस देश (Tokelau) में कोई एयरपोर्ट नहीं है। इसके पास का द्वीपय देश न्यूजीलैंड है, जहां जहाज से जाया जा सकता है।
तुवालू- दक्षिण प्रशांत में स्थित इस स्वतंत्र द्वीपीय देश ने कोरोना वायरस के संक्रमण को अपने तटों तक पहुंचने से रोक दिया है। इस देश ने अपनी सीमाएं बंद कर दीं और कुछ मामलों में क्वारंटीन अनिवार्य किया। तुवालू (Tuvalu) चार द्वीप और पांच एटाल से मिलकर बना है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यहां प्रति 100 लोगों की आबादी पर करीब 50 का पूरी तरह टीकाकरण हो गया है।
तुर्कमेनिस्तान- मध्य एशियाई देश तुर्कमेनिस्तान (Turkmenistan) में कोरोना वायरस का एक भी मामला नहीं मिला है। जिसपर यकीन कर पाना मुश्किल है। इस देश की सीमा उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तान से लगती है। यह काफी हद तक काराकुम रेगिस्तान से कवर है और इसके एक ओर कैस्पियन सागर है। डब्ल्यूएचओ ने इससे पहले बताया था कि इस बात की बहुत कम संभावना है कि तुर्कमेनिस्तान में वायरस नहीं फैल रहा, क्योंकि दुनिया दो साल से इससे जूझ रही है।
सेंट हेलेना- यह दक्षिण अटलांटिक महासागर में एक ब्रिटिश प्रवासी क्षेत्र है। सेंट हेलेना (Saint Helena) को दुनिया के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में से एक माना जाता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यहां प्रति 100 लोगों की आबादी पर दी जाने वाली कुल वैक्सीन डोज की संख्या 138 है।
पिटकेर्न द्वीप समूह- ये प्रशांत महासागर में चार ज्वालामुखी द्वीपों का समूह है। सीआईए वेबसाइट पर कंट्री प्रोफाइल के अनुसार, यहां (Pitcairn Islands) निवासियों की जनसंख्या 50 है और उनमें से अधिकांश एडमस्टाउन गांव के पास रहते हैं।
किरिबाती- यह हवाई से 3,200 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है। यहां (Kiribati) प्रशासन ने यात्रा प्रतिबंध जल्दी लगा दिए थे और यहां मुट्ठी भर फ्लाइट ही आती हैं, जिसके कारण इन नियमों को लागू करना आसान था। इसी वजह से यहां कोरोना वायरस का कोई केस नहीं मिला है।
माइक्रोनेशिया- माइक्रोनेशिया (Micronesia) 600 से अधिक द्वीपों से बना है। इस देश को डब्ल्यूएचओ के साथ-साथ अमेरिका, चीन और जापान जैसे देशों से कोविड-19 को रोकने में मदद मिली है।
नाउरु- यह आकार के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे छोटा देश है। नाउरु (Nauru) किरिबाती का पड़ोसी है। देश में कोविड-19 का एक भी मामला नहीं मिला है। स्थानीय प्रशासन ने संक्रमण को रोकने के लिए यात्रा प्रतिबंध भी लगाए हैं।
नियू- यह द्वीपय देश दुनिया के सबसे बड़े प्रवाल द्वीपों में से एक है, जो न्यूजीलैंड से लगभग 2,500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। न्यूजीलैंड ने कोविड -19 के खिलाफ अपनी लड़ाई में नियू (Niue) का समर्थन किया है।