कोहिन ने कहा कि उपसहारा अफ्रीकी क्षेत्र के अन्य देशों में स्थिति कमोबेश समान रह सकती है, जहां पिछले स्वरूपों का खतरनाक असर देखने को मिला था। उन देशों में स्थिति समान नहीं हो सकती है, जहां पिछले स्वरूपों का असर काफी कम रहा था और टीकाकरण की दर अधिक है।
एनआईसीडी की जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ वासीला जस्सत ने इस बात को स्पष्ट किया कि कैसे 'ओमिक्रॉन' स्वरूप की वजह से आई वैश्विक महामारी की चौथी लहर, पिछली लहर से अधिक खतरनाक नहीं है। चौथी लहर में पहले 4 सप्ताह में संक्रमण के मामले काफी अधिक आए। पिछली लहर की तुलना में 3,66,000 से अधिक मामले सामने आए।
जस्सत ने बताया कि 4थी लहर में केवल 6 प्रतिशत मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि पिछली लहरों में 16 प्रतिशत मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जस्सत ने कहा कि इसका मतलब है कि मामले अधिक थे, लेकिन अधिक मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत नहीं आई। पिछली लहरों की तुलना में इस बार अस्पताल में भर्ती कराए गए मरीजों की दर काफी कम थी।
उन्होंने कहा कि इस चौथी लहर का प्रकोप कई अन्य कारणों से भी शायद कम रहा, जैसे टीकाकरण के कारण लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता थी या 'ओमिक्रॉन' के कम संक्रामक होने के कारण भी ऐसा हो सकता है। इस संबंध में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए हमें और अध्ययन करने की जरूरत है।