दिशा-निर्देश में कहा गया है कि मामूली लक्षण में स्टेरॉयड नहीं दिया जाना चाहिए और सात दिनों के बाद भी अगर लक्षण बने रहते हैं (लगातार बुखार, खांसी आदि) तो उपचार करने वाले चिकित्सक से विचार-विमर्श कर कम डोज का ओरल स्टेरायड लेना चाहिए। इसने कहा कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के रोगी या हाइपरटेंशन, मधुमेह, हृदय रोग, फेफड़ा या लीवर या गुर्दे जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों को चिकित्सक के परामर्श से ही होम आइसोलेशन में रहना चाहिए।
दिशानिर्देश में कहा गया है कि अगर बुखार पैरासीटामोल 650 एमजी दिन में चार बार लेने से नियंत्रण में नहीं आता है तो चिकित्सक से परामर्श लें, जो अन्य दवाएं जैसे दिन में दो बार नैप्रोक्सेन 250 एमजी लेने की सलाह दे सकता है।
इसमें कहा गया है कि आइवरमैक्टीन (प्रतिदिन 200 एमजी प्रति किलोग्राम खाली पेट) तीन से पांच दिन देने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पांच दिनों के बाद भी लक्षण रहने पर इनहेलेशन बडसोनाइड दिया जा सकता है। मंत्रालय ने कहा कि रेमडेसिविर या कोई अन्य जांच थेरेपी चिकित्सक द्वारा ही दी जानी चाहिए और इसे अस्पताल के अंदर दिया जाना चाहिए।
दिशा-निर्देश में कहा गया है कि घर पर रेमडेसिविर खरीदने या लगाने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। मामूली बीमारी में ओरल स्टेरायड्स नहीं दिया जाता है। अगर सात दिनों के बाद भी लक्षण (लगातार बुखार, खांसी आदि) रहता है तो चिकित्सक से परामर्श करें जो कम डोज के स्टेरायड दे सकते हैं।
संशोधित दिशानिर्देश में कहा गया है कि लक्षण नहीं होने का मामला प्रयोगशाला से पुष्ट होना चाहिए जिसके तहत लोगों में किसी तरह के लक्षण नहीं होने चाहिए और उनमें ऑक्सीजन सांद्रता 94 फीसदी से अधिक होनी चाहिए जबकि मामूली लक्षण वाले रोगियों को सांस लेने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए और उनकी ऑक्सीजन सांद्रता 94 फीसदी से अधिक होनी चाहिए।