अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार कोरोना वायरस के इस ‘स्ट्रेन’ को ‘स्वाइन एक्यूट डायरिया सिंड्रोम कोरोना वायरस (एसएडीएस-सीओवी) के तौर पर जाना जाता है। यह कोरोनावायरस चमगादड़ों से उभरा और इसकी जानकारी 2016 में सामने आई थी। उसके बाद से इससे पूरे चीन में सूअरों के झुंड संक्रमित हुए हैं। इन अनुसंधानकर्ताओं में अमेरिका में चैपल हिल स्थित यूनिवर्सिटी आफ नॉर्थ कैरोलिना के अनुसंधानकर्ता भी शामिल थे।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि इस तरह की बीमारियों से दुनिया में उन कई देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है, जो सूअर के मांस पर निर्भर हैं। ‘पीएनएएस’ जर्नल में प्रकाशित इस नए अध्ययन के अनुसार वैज्ञानिकों ने एसएडीएस-सीओवी से संभावित खतरे का आकलन करने के लिए प्रयोगशाला में परीक्षण किए। इससे यह बात सामने आई कि यह वायरस मनुष्य के लीवर और आंत की कोशिकाओं में तेजी से बढ़ सकता है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि यह वायरस बीटाकोरोना वायरस एसएआरएस-सीओवी-2 के परिवार का है जो मनुष्यों में श्वसन संबंधी बीमारी कोविड-19 का कारण बनता है। एसएडीएस-सीओवी एक अल्फाकोरोना वायरस है जो सूअरों में पेट और आंत संबंधी बीमारी का कारण बनता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इस वायरस से गंभीर दस्त और उल्टी होती है और यह विशेष तौर पर कम आयु के सूअरों के लिए घातक है। (भाषा)