उन्होंने 'इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव' में कोविशील्ड को लेकर बढ़ती चिंताओं का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की। ऐसी खबरें हैं कि टीके के कारण रक्त के थक्के बन रहे हैं।हर्षवर्धन ने कहा कि जहां ऐसे मामले सामने आए हैं, उन देशों की सरकारों द्वारा ऐसे मामलों की जांच की जा रही है।
उन्होंने कहा कि भारत में टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव (एईएफआई) के सभी मामलों की निगरानी एक सुव्यवस्थित और मजबूत निगरानी प्रणाली के जरिए की जाती है।उन्होंने कहा कि सभी गंभीर एईएफआई का कारण मूल्यांकन एईएफआई समिति द्वारा यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि क्या यह घटना टीका या टीकाकरण प्रक्रिया से संबंधित है या नहीं। मौजूदा प्रमाण के अनुसार, अब तक भारत में टीकाकरण के बाद कोई महत्वपूर्ण प्रतिकूल घटना की सूचना नहीं है।
हर्षवर्धन ने कहा, हमारे राष्ट्रीय नियामकों ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन के नैदानिक परीक्षणों से प्रभाविता और सुरक्षा डेटा की जांच की है। मैं दोहराना चाहूंगा कि हमारे देश में उपयोग किए जा रहे दोनों टीके पूरी तरह से सुरक्षित और प्रतिरोधक हैं। अभी भारत में इस्तेमाल किए जा रहे टीकों की सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है।
टीकों से संबंधित दुष्प्रभावों के बारे में हर्षवर्धन ने कहा कि देश में गंभीर एईएफआई की सूचना देने वालों का प्रतिशत 0.0002 है, जो काफी कम है।स्वास्थ्य मंत्री ने जोर दिया कि टीके सार्स-सीओपी-2 और इसके मौजूदा स्वरूप के खिलाफ प्रभावी हैं और सरकार बढ़ते परिदृश्य पर नजर रख रही है।
उन्होंने कहा कि उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्यों के अनुसार, टीकाकरण कार्यक्रम को और मजबूत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों के बीच टीकों की दूसरी खुराक का कवरेज 76.88 प्रतिशत है, जबकि अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के बीच यह 71.94 प्रतिशत है, जो पर्याप्त है।(भाषा)