जम्मू। अपनी तरह के पहले मामले में कश्मीर पुलिस लोगों को घरों के भीतर रहने की खातिर ड्रोन से ऑडियो अपील का सहारा ले रही है। जबकि जम्मू में संदिग्धों की बढ़ती संख्या के बीच क्वारंटाइन केंद्रों की संख्या को बढ़ाने से दहशत का माहौल है। यह दहशत श्रीनगर के उपायुक्त द्वारा इसे तीसरा विश्व युद्ध निरूपित करने के कारण भी है। फिलहाल पूरे जम्मू कश्मीर और लद्दाख में लॉकडाउन जारी था।
जम्मू में बढ़ रही संदिग्धों की संख्या को देखते हुए क्वारंटाइन केंद्रों की संख्या 12 कर दी गई है। इनमें 1255 लोगों को रखने की क्षमता है। प्रशासन ने पहले तीन क्वारांटाइन केंद्र बनाए थे। इनमें जम्मू के भगवती नगर में स्थित यात्री निवास, एनएचपीसी का गेस्ट हाउस और टीचर्स भवन शामिल था। वहीं, अब रेडरोज होटल नरवाल, सैनिक स्कूल नगरोटा, इम्पा नगरोटा, स्कास्ट कैंपस आरएस पुरा, यूथ होस्टल नगरोटा, आईआईटी होस्टल पलौड़ा, रेवन्यू इंस्टीट्यूट गोल गुजराल और एक्साइज एंड टैक्सेशन इंस्टीट्यूट नगरोटा शामिल हैं।
जम्मू कश्मीर में बेशक कुछ दिनों से कोरोना वायरस का कोई भी नया मरीज नहीं आया है, लेकिन इसके संदिग्धों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आज भी 327 संदिग्ध और निगरानी में रखे गए। इसे मिलाकर अब तक 3938 लोगों को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अपनी निगरानी में रखा है। वहीं संदिग्धों की संख्या को देखते हुए कई और क्वारंटाइन सेंटर बना दिए हैं।
श्रीनगर के जिला उपायुक्त डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी ने ट्वीट कर कहा कि भयभीत होने के बजाय स्थिति को काबू में पाने के लिए सभी को सहयोग करना चाहिए। उन्होंने इसे तीसरा विश्व युद्ध निरूपित किया है। वे कहते थे कि इसके गुजर जाने के बाद सभी को जीवनदान मिल जाएगा। जिला उपायुक्त ने कई ट्वीट कर लोगों को यात्रा हिस्ट्री बताने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि, इसकी मदद से इस रोग पर नियंत्रण पाने में काफी हद तक मदद मिलेगी।
अधिकारियों ने जानकारी दी कि विदेश से यहां आए कश्मीर के 1100 से ज्यादा लोगों को अस्थायी स्थलों पर पृथक तौर पर रखा गया है। वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे घाटी से कुछ समय के लिए बाहर न निकलें और जो बाहर हैं, वे यहां न आएं क्योंकि ऐसा करना सुरक्षित नहीं है।
इकबाल चौधरी ने कहा कि बैंकॉक, ब्रिटेन, दुबई, बांग्लादेश, कजाखस्तान सहित अन्य देशों से आने वाले 29 लोगों का पता लगाने में स्वास्थ्यकर्मी सफल रहे। इन लोगों ने अपने मार्ग बदल लिए थे या अपनी यात्रा संबंधी जानकारी स्वास्थ्यकर्मियों को नहीं दी थी।