अनुसंधानकर्ताओं के इस दल के अनुसार उन्होंने एक प्रयोगशाला में सांस लेने की आवृत्ति का मॉडल तैयार किया और पाया कि सांस लेने की कम आवृत्ति वायरस की उपस्थिति के समय को बढ़ाती है जिससे इसके जमा होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके परिणामस्वरूप संक्रमण होता है। इसके अलावा फेफड़े की संरचना का किसी व्यक्ति के कोविड-19 के प्रति संवेदनशीलता पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
आईआईटी-मद्रास के डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड मैकेनिक्स के प्रोफेसर महेश पंचागानुला ने कहा, हमारे अध्ययन से यह पता चला है कि कण कैसे गहरे फेफड़ों में पहुंचते हैं और कैसे वहां जमा होते हैं। प्रोफेसर पंचागानुला ने कहा कि उन्होंने पाया है कि सांस रोककर रखने और कम सांस लेने की दर से फेफड़ों में वायरस के जमने की संभावना बढ़ सकती है।