कंपनी ने कहा कि जिन लोगों को खुराक दी गईं, उनके शरीर में एंटीबॉडीज बनीं जिनका जब प्रयोगशाला में परीक्षण किया गया तो वे विषाणु को प्रतिकृति बनाने से रोकने में सक्षम थीं। इसके बाद इन तथाकथित एंटीबॉडीज के स्तर का मिलान उन लोगों की एंटीबॉडीज के स्तर से किया गया जो कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद ठीक हुए थे।