6 अक्टूबर को अरविंद की मौत के मामले में पुलिस ने ओला इलेक्ट्रिक के सीईओ भाविश अग्रवाल, वरिष्ठ अधिकारी सुब्रत कुमार दास और कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इस मामले में अब ओला इलेक्ट्रिक ने सफाई पेश करते हुए जांच में सहयोग करने और कर्मचारियों की सुरक्षा, उनके सम्मान के प्रति प्रतिबद्ध होने का दावा किया है। कर्नाटक पुलिस मामले की जांच कर रही है।
कंपनी के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि हमें अपने सहयोगी अरविंद के दुर्भाग्यपूर्ण निधन पर गहरा दुख है। इस कठिन समय में हमारी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं। अरविंद साढ़े तीन साल से ओला इलेक्ट्रिक से जुड़े थे और बैंगलोर स्थित हमारे मुख्यालय में कार्यरत थे। अपने कार्यकाल के दौरान, अरविंद ने अपनी नौकरी या किसी भी उत्पीड़न के बारे में कभी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई।
कंपनी ने कहा कि अरविंद जिस भूमिका का निर्वाह कर रहे थे, उसमें प्रमोटर सहित कंपनी के शीर्ष प्रबंधन के साथ उनका कोई सीधा संपर्क नहीं होता था। एफआईआर को हमने कर्नाटक उच्च न्यायालय की पीठ के समक्ष चुनौती दी है।
क्या है मामला : के. अरविंद ओला इलेक्ट्रिक में होमोलोगेशन इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। जांच अधिकारियों के मुताबिक उन्होंने 28 सितंबर, 2025 को जहर खाकर खुदकुशी कर ली। मौत के दो दिन बाद कंपनी ने अरविंद के बैंक खाते में 17.46 लाख रुपए ट्रांसफर किए। अरविंद के कमरे से पुलिस ने 28 पन्नों का सुसाइड नोट भी बरामद किया। अरविंद ने कंपनी के सीईओ भाविश अग्रवाल और एक अन्य अधिकारी सुब्रत कुमार दास पर मानसिक उत्पीड़न, अत्यधिक काम का बोझ और वेतन के साथ-साथ बकाया राशि का भुगतान न करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।