मध्यप्रदेश पुलिस में एसआई पद की नियुक्ति पर शहीद यशवंत पाल की बेटी ने वेबदुनिया को बताया…
पापा को खोने का दुख हमारे लिए दुनिया में सबसे बड़ा दुख है। हम सब अपने पापा की वजह से हैं, हमारी पढ़ाई से लेकर हमारी परवरिश तक सब-कुछ पापा की बदौलत है। लेकिन मध्यप्रदेश सरकार और पुलिस डिपार्टमेंट ने मुझे पुलिस सेवा में काम करने का जो मौका दिया है, उसके लिए मैं हमेशा उनकी आभारी हूं। मेरे लिए खुशी की बात यह है कि मैं अपने पापा के सपने को पूरा कर सकूंगी। पुलिस में उनकी सेवा के जज्बे और उनकी लेगेसी को आगे बढ़ाऊंगी।
पिछले दिनों इंदौर के रहने वाले और उज्जैन के नीलगंगा पुलिस थाना में सेवा देने वाले टीआई यशवंत पाल कोरोना वायरस के चलते शहीद हो गए थे। एक तरफ पिता के जाने का दुख और दूसरी तरफ मध्यप्रदेश पुलिस में अनुकंपा नियुक्ति मिलने की मिक्स फिलिंग के साथ उनकी बेटी फाल्गुनी पाल ने वेबदुनिया से विशेष चर्चा की। इस दौरान पिता को याद कर वे कई बार भावुक हो गईं।
शनिवार को मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने फाल्गुनी से वीडियो कॉल पर बात की और उसे मध्यप्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर (एसआई) के पद पर नियुक्त करने की जानकारी दी।
इस मौके पर फाल्गुनी ने अपने और पिता यशवंत पाल के बारे में अपने निजी अनुभव शेयर किए। पढ़िए वेबदुनिया की ये खास रिपोर्ट।
एसआई के पद पर नियुक्ति पर फाल्गुनी कहती हैं कि-
मेरे पापा ने जिस जज्बे के साथ पुलिस में सेवा की उसी जज्बे के साथ मैं भी काम करुंगी। इसी से मेरे पिता को खुशी मिलेगी।
भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविदृयालय से अंग्रेजी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ ही फाल्गुनी एमपीपीएसी की तैयारी कर रही थी। फाल्गुनी ने बताया कि उनके पापा का सपना था कि वो भी पुलिस में काम करे।
एसआई के पद पर मिली नियुक्ति के सवाल पर वो कहती हैं- मैं पापा का हमेशा से ही रिस्पेक्ट करती रही हूं, लेकिन जिस तरह उसके पापा कोरोना में सेवा देते हुए शहीद हो गए उनकी नजरों में पुलिस का सम्मान और ज्यादा बढ़ गया है। उसने बताया कि इस डिपार्टमेंट के प्रति सभी को सम्मान करना चाहिए।
फाल्गुनी बताती हैं कि छोटी बहन ईशा और उसके साथ पापा के रिश्ते बेहद भावुक और दोस्ताना थे। वे जब ड्यूटी से 10 15 दिनों में घर आते थे तो हम खूब एंजॉय करते थे, हम उनके पसंद का खाना बनाते थे। हम इंतजार करते थे कि पापा कब घर आएंगे।
पापा ने इंदौर वाला घर पूरी तरह से ठीक किया था, क्योंकि हम सब की यादें इसी घर से जुड़ी हुई हैं। पापा भी इसी घर में रहना चाहते थे।
अपने पिता की मौत के बारे में जो सबसे ज्यादा बात फाल्गुनी को सालती है वो यह है कि कोरोना वायरस की वजह से अंतिम दिनों में भी वो, उनकी मां मीना पाल और छोटी बहन ईशा अपने पिता को छू और देख तक नहीं सकीं।
फाल्गुनी और ईशा ने बताया कि एक शाम को ही पापा से वीडियो कॉल पर बात हुई थी, अगली सुबह वो हमारी दुनिया से जा चुके थे। 17 दिनों तक अस्पताल में इलाज के दौरान वे सिर्फ एक ही बार पापा से बात कर सकीं।
ईशा बताती हैं कि वो उसके पापा की बेहद चहेती थी। उन्होंने हम दोनों बहनों को सिखाया कि कैसे खुश रहना है, कैसे किसी भी रिश्ते को निभाना है और कैसे जिंदगी में विनम्र बने रहना है। क्योंकि ये सारे गुण उनके पापा में थे। वे हमारे आइडियल थे और लोगों के प्रति बेहद हंबल भी।
फाल्गुनी ने उज्जैन के अस्पताल में पसरी अव्यवस्था के बारे में भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि उज्जैन के जिस अस्पताल में उनके पिता का इलाज चल रहा था, वहां बहुत लापरवाही है। डॉक्टरों ने ठीक से इलाज पर ध्यान ही नहीं दिया और न ही घरवालों को उनके पिता की वास्तविक स्थिति के बारे में बताया। फाल्गुनी ने बताया कि अगर डॉक्टर उनके पिता के बारे में साफ- साफ बताते तो वे उन्हें इंदौर के किसी अच्छे अस्पताल ले आते जहां उनकी जान बच सकती थी, लेकिन डॉक्टरों ने इस बात का ख्याल नहीं रखा।
फाल्गुनी ने अंत में बताया दुख की घड़ी में इंदौर पुलिस प्रशासन का सपोर्ट मिला। बेहद आभार और धन्यवाद।