'बुधवार रात यानी को 3:00 बजे तो यह हालत थी कि हम लोग सभी लोग पानी निकालने में लगे हुए थे, लेकिन हमारे कमरे से पानी बाहर जा ही नहीं रहा था। वह पानी लगातार बढ़ता ही जा रहा था। पिछले जितने भी समय से हम रह रहे हैं, मैंने ऐसा पहली बार देखा कि पानी घर के अंदर घुस गया हो। हम फिर भी कोशिश में लगे रहे और काफी देर बाद घर के अंदर का पानी बाहर निकाल पाए। अब थोड़ा-सा घर सूख रहा है।'
यह कहना है युवराज वाल्मीकि का। युवराज भारतीय हॉकी टीम में 2011 में एशियन चैंपियंस ट्रॉफी जीतकर आए हैं। उन्होंने 2014 में वर्ल्ड कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वह ऐसे पहले हॉकी प्लेयर हैं, जिन्होंने खतरों के खिलाड़ी जो कि कलर्स टेलीविजन का एक रियालिटी शो है, उसमें भी भाग लिया।
वेबदुनिया से बातें करते हुए युवराज आगे बताते हैं कि यह तो कुछ नहीं। मैंने तो जिंदगी यहीं से शुरू की है। मैंने तो वह समय भी देखा है जब घर में न बिजली थी, ना पानी थी। यहां तक कि घर का कोई दरवाजा भी नहीं था। सिर्फ 1 कर्टन लगाया था। एक परदा लगाया था जिसे हम रात में बंद कर दिया करते थे। वह तो 2011 में जब भारत हॉकी में पाकिस्तान से जीतकर आया तब जाकर मेरे दिन बदले।
कब और कैसे पानी भरना शुरू हुआ : बुधवार दोपहर 1:30 बजे के आसपास हमारे घर में पानी भरना शुरू हुआ। हमारे घर के पास में एक मोड़ पर तो कहीं कमर तक तो कहीं छाती तक पानी पहुंचने लगा था। वहां जाकर मैंने बैरिकेट लगाए क्योंकि कोई कार भी जब आती-जाती थी तो लहरों की वजह से हमारे कंपाउंड में पानी आता था और वही पानी हमारे घर के अंदर प्रवेश कर जाता था।
युवराज आप कहां रहते हैं? : मैं मुंबई के मरीन लाइंस इलाके में निरंजन बिल्डिंग में रहता हूं। इसका इतिहास है। ऐसा है कि यह मरीन लाइंस के झुग्गी-झोपड़ी का इलाका कहलाता था, जिसे अब थोड़ा सा बदल दिया गया है। मैं ग्राउंड फ्लोर पर रहता हूं, लेकिन आज तक कभी पानी भरा नहीं था। लेकिन जैसे-जैसे पानी भरने लगा मुझे सबसे बड़ा टेंशन इस बात का हुआ कि मेरी जितनी भी ट्रॉफी और सर्टिफिकेट हैं, कहीं पानी वहां तक न पहुंच जाए क्योंकि मैंने सभी सजाकर रखे हैं। फिर मैंने जितनी जल्दी हो सके इन सब ट्रॉफीस, सर्टिफिकेट और फोटोग्राफ्स को इकट्ठा किया और अपनी कार में डाला। लेकिन, पानी का बहाव इतना तेज था कि कार बहकर 30 मीटर दूर चली गई।
इतना सब होने के बाद आपने बीएमसी को कांटेक्ट नहीं किया? : मैंने 15-16 बार बीएमसी को फोन भी लगाया। लेकिन, एक बार जब बात हुई तब उन्होंने कहा कि हम भी खुद फंसे हुए हैं। पर मैं इतना ज्यादा परेशान हो गया और मुझे इतना बुरा लग रहा था। इस सारी सिचुएशंस को देखते हुए कि मैंने अपने भाई से बात की जो इन दिनों हॉलैंड में है और वह भारत का एकमात्र ऐसा हॉकी खिलाड़ी है, हॉलैंड में जाकर खेल रहा है।
उसने हमारे देश का ओलंपिक में भी प्रतिनिधित्व किया है। फिर उसने कहा कि ऐसा करो भाई! ट्वीट कर दो तो तब जाकर मैंने इसका ट्वीट किया। उसके बाद भी मुझे लोगों का अच्छा खासा रिस्पांस मिलने लग गया। लेकिन यह सारे ही रिस्पांस जो थे वह ट्विटर पर थे। असल जिंदगी में कोई भी अंतर नहीं आ रहा था।
दुखी मन से युवराज आगे कहते हैं कि मुझे आज मुझे वह बात आज भी याद है जब मैं चीन से लौटा था और पाकिस्तान के खिलाफ महाराष्ट्र का प्लेयर बनकर लौटा था जिसने भारत को जीत दिलाने में अपनी भूमिका निभाई थी। विनिंग स्ट्राइक मेरा ही था। जैसे ही मैं एयरपोर्ट पर पहुंचा तो मुझसे कई बड़े-बड़े लोग मिलने आए थे। उद्धव जी से मुलाकात हुई, आदित्य ठाकरे से भी उसी समय मेरी मुलाकात हुई।
मुंबई की मेयर श्रद्धा जाधव मुझे लेने आईं। यहां तक कि सबसे पहले मुझे बाला साहब ठाकरे ने फोन लगाया। और कहा कि तुम घर नहीं जाओगे। सबसे पहले मातोश्री मिलने आओ। मैं बड़ा खुश हुआ और मातोश्री पहुंच गया। बाला साहेब ने अपनी गाड़ी भेजी थी। मैं मातोश्री बंगले पहुंचा वहां पर बाला साहब से मेरी मुलाकात हुई। बाला साहब ने बात करते-करते मुझसे पूछा कि मुझे क्या चाहिए? मैंने कहा कि मुझे ना पैसा चाहिए ना कुछ और बस मेरे घर में बिजली नहीं है। मेरे घर में बिजली पहुंचा दीजिए। फिर बातचीत हुई और मैं वहां से निकला। मुझे मातोश्री से अपने घर पहुंचने में कुछ 40 या 45 मिनट का समय लगता है तो जब मैं अपने घर पर पहुंचा देखा। मेरे घर में बिजली आ गई थी। मैं वह पल कभी नहीं भूल सकता हूं।
लेकिन हमारे सुनने में आया कि आप को सरकार ने घर देने का वादा भी किया था? : हां, आप सही कह रही हैं। जिस दिन मैं लौटा, बाला साहब से मिला। उसके अगले दिन मुझे मंत्रालय से पृथ्वीराज चौहान जी जो कि उस समय के मुख्यमंत्री थे, उनका फोन आया और उन्होंने मुझसे एक घर का वादा किया।
युवराज कहते हैं कि कल से यह जो सब कुछ हुआ है, हमारे घर में पानी भर गया। उसके बाद मुझे बहुत बुरा लग रहा था। मतलब मैंने अपने देश के लिए 90 मैच खेले हैं। जर्मन हॉकी लीग के लिए लगातार 8 साल तक खेला। मेरा भाई आज हॉलैंड में भारत को रिप्रेजेंट कर रहा है। 2011 में मुझे घर का वादा किया गया था, जो 9 साल बाद आज तक मुझे मिला नहीं है।
इसीलिए आपने ट्वीट भी किया? : मुझे दुखी होकर यह ट्वीट करना पड़ा और कहना पड़ा कि मुझे इस बात का हमेशा दुख रहेगा कि मैं एक हॉकी प्लेयर हूं। वह भी एक ऐसे देश में जहां हॉकी राष्ट्रीय खेल है। मैं और मेरे भाई हम दोनों महाराष्ट्र के इकलौते ऐसे भाई हैं, जो इतने बड़े लेवल पर। प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर के आए हैं। वैसे सच कहूं तो इन सबसे मैं हौसला नहीं टूटेगा। आप जरा सोचकर देखिए रूना। जिस व्यक्ति ने 21 साल तक अपनी जिंदगी के बिजली नहीं देखी हो और घर में आसपास नहीं टॉयलेट भी नहीं रहा हो।
मुझे याद है मैं और मेरा भाई सुबह उठकर पापा के साथ जाते थे। वह जिस बिल्डिंग में काम करते थे और ड्राइवरी करते थे वहां के बाथरूम में हम दोनों नहा-धोकर तैयार होकर फिर स्कूल जाया करते थे। मैं वह लड़का हूं जिसने कहीं कूड़े में पड़ा हुआ खाना भी उठाकर खाया है। ऐसे में यह जिंदगी कुछ भी नहीं है। यह परेशानी कुछ भी नहीं है। लेकिन क्या? ऐसा नहीं हो सकता था कि जो घर मुझे मिलने वाला था, वह मुझे मिल जाता तो आज मैं और मेरे घर वाले इस स्थिति में नहीं होते।