Uniform Civil Code: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकेत के बाद भारत में समान नागरिक संहिता लागू होना लगभग तय हो गया है। इसे लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मानसून सत्र में लाया जा सकता है। इस बीच, लॉ कमीशन को यूसीसी पर 9.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिल चुकी हैं। मोदी का तर्क है कि एक परिवार (भारत के विभिन्न धर्म) में दो कानून नहीं हो सकते। सुप्रीम कोर्ट भी कई बार देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कह चुका है।
हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब यूसीसी की चर्चा हो रही है, आजादी से पहले और स्वतंत्रता के तत्काल बाद भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। उस समय विरोध के बावजूद हिन्दू पर्सनल लॉ में बदलाव किए गए थे। 2005 में ही हिन्दू लॉ में संशोधन कर माता-पिता की संपत्ति में बेटियों को बराबरी का अधिकार दिया गया था।
क्या है समान नागरिक संहिता : समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का अर्थ है, भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून। चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या वर्ग का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद शादी, तलाक, दत्तक और संपत्ति के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक समान कानून लागू होगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून से है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है। दूसरे शब्दों में कहें तो एक धर्मनिरपेक्ष कानून। हालांकि भारत में फेमिली लॉ को छोड़कर सभी मामलों में सबके लिए एक समान कानून ही हैं।
दिव्य मानव मिशन के संस्थापक एवं विधि के जानकार आचार्य डॉ. संजय देव कहते हैं कि समान नागरिक संहिता तो लागू होनी ही चाहिए। यह एक स्वागत योग्य कदम है। यूसीसी तो जब देश में संविधान लागू हुआ या उससे भी पहले जब सत्ता हस्तांतरण हुआ, तभी लागू हो जानी चाहिए थी। यदि अभी भी सरकार इसे लागू करने की मंशा रखती है तो यह सही प्रयास है। केवल विवाह, तलाक, गोद, उत्तराधिकार में ही नहीं और भी बहुत-सी बातें हैं, जहां समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए।