जवाबी हमला करेगा ऑस्ट्रेलिया

गुरुवार, 24 जनवरी 2008 (12:37 IST)
सुशील दोष
दगड़ू पहलवान की ब़ड़ी दहशत थी। अपनी तगड़ी शारीरिक श्रेष्ठता के कारण सभी उनसे डरते थे। वे अपनी गली तो गली, दूसरों की गली में जाकर भी लोगों को पीटकर आ जाते थे। गाली-गलौज करना, लोगों पर फब्तियाँ कसना उनकी रोजमर्रा की आदत थी। पर एक दिन एक किड़ीकाँप पहलवान ने उन्हें उन्हीं के घर में घुसकर मारना शुरू कर दिया, तो उन्हें समझ में ही नहीं आया कि वे अब क्या करें?

पीटते रहने की आदत के कारण पिटते वक्त क्या करना चाहिए, इसका उन्हें तनिक भी आभास न था। ऑस्ट्रेलिया की हालत बिलकुल इन दगड़ू पहलवान की तरह ही हो गई है। भारत ने उसके घर में घुसकर उसके पसंदीदा मैदान पर्थ पर ही उसे हरा दिया है। अब रिकी पोंटिंग कैसा व्यवहार करें, यह उनकी खुद समझ नहीं आ रहा।

कोई अगर यह सोचे कि 16 टेस्ट मैचों की जीत के बाद 1 टेस्ट हारने से ही ऑस्ट्रेलिया विश्व क्रिकेट के सिंहासन से गिरा दिया गया है, तो यह उसकी भूल कही जाएगी। या कोई अगर यह सोचे कि श्रृंखला में 0-2 से पीछे रहने के बाद एक बार ऑस्ट्रेलिया को हरा देने से ही विश्व क्रिकेट की राजसी गद्दी पर हम बैठ गए हैं, तो यह भी हमारी नादानी ही होगी। जिस तरह से कोई खराब टीम बार-बार ऊर्जा कायम रखते हुए अच्छा नहीं खेल सकती, उसी तरह से ऑस्ट्रेलिया जैसी बेहतरीन टीम बार-बार बुरा नहीं खेल सकती है।

ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराना साँप के बिल में हाथ डालने के बराबर है। भारत को सावधान रहना होगा। पर्थ में हराकर भारत ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के स्वाभिमान को आहत किया है। अब भारत को जवाबी हमले के लिए तैयार रहना चाहिए। पर इससे पहले कि एडिलेड के चौथे टेस्ट में भारत सचाई को स्वीकार करने की कोशिश करे, भारतीय चयनकर्ताओं ने नए खून के नाम पर काबिलियत को नजरअंदाज करने की कोशिश की है।

एक दिवसीय क्रिकेट टीम के नामों की घोषणा ऐसे वक्त की गई, जब भारतीय एकजुट होकर मुकाबला कर रहे हैं। सौरव गांगुली को अपमान सहते जाने की आदत-सी प़ड़ गई होगी। यह हमेशा विवाद का सबब रहेगा कि उम्र देखना चाहिए या प्रदर्शन? क्षेत्ररक्षण ही देखना चाहिए या बल्लेबाजी की काबिलियत? रन बनाना ही ज्यादा जरूरी है या रन बचाना भी?

बदलाव लाने की जिद व नए खून को प्रवेश देने की नेक नीयत में कहीं स्थापित व सिद्ध प्रतिभा तो दरकिनार नहीं हो रही है? मैथ्यू हेडन के एक टेस्ट नहीं खेलने से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की पर्थ में दुर्दशा से हमने कोई सबक नहीं सीखा है।

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