युवा खून को मौका देना ही पड़ा

सीमान्त सुवीर

शनिवार, 31 मई 2008 (11:17 IST)
बांग्लादेश और एशिया कप में जब भारतीय क्रिकेट टीम उतरेगी तो उसमें हमेशा से दिखने वाले चेहरे नदारद मिलेंगे। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने पहली बार ऐसा काम किया, जिसके कारण उनकी पीठ ठोंकी जाना चाहिए।

शुक्रवार की दोपहर में जब बांग्लादेश के दौरे के साथ-साथ पाकिस्तान में खेले जाने वाले एशिया कप के लिए 15 सदस्यों का ऐलान किया गया तो एक बारगी अचरज हुआ, क्योंकि घोषित टीम में टीम की बपौती बने सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ के नाम नदारद थे जबकि मास्टर ब्लास्टर सचिन ने पहले ही घोषणा कर डाली थी कि वे बांग्लादेश नहीं जाएँगे।

  वीरेन्द्र सहवाग को छोड़कर पूरी टीम युवा खून से भरी हुई है और सभी खिलाड़ी 30 साल के भीतर के हैं। लगता है कि चयनकर्ताओं ने इंडियन प्रीमियर लीग को अपना आधार बनाया और प्रज्ञान ओझा और यूसुफ पठान को उनके शानदार प्रदर्शन का पुरस्कार दिया      
वीरेन्द्र सहवाग को छोड़कर पूरी टीम युवा खून से भरी हुई है और सभी खिलाड़ी 30 साल के भीतर के हैं। लगता है कि चयनकर्ताओं ने इंडियन प्रीमियर लीग को अपना आधार बनाया और प्रज्ञान ओझा और यूसुफ पठान को उनके शानदार प्रदर्शन का पुरस्कार दिया।

चयन समिति के मुखिया दिलीप वेंगसरकर के साथ अन्य चयनकर्ताओं को भी महसूस होने लगा है कि यदि भारत में 2011 के विश्व कप के लिए टीम तैयार करना है तो युवाओं को मौका देना ही होगा।

  आईपीएल में जिस विकेटकीपर ने सबसे ज्यादा दाद बटोरी वे थे कोलकाता नाइट राइडर्स के साहा। चीते जैसी चपलता और बिजली जैसी गति के साथ गेंद को स्टम्प्स पर मारने की वजह से साहा सबकी आँखों का तारा बन गए। कम से कम उन्हें तो मौका मिलना ही चाहिए था      
घोषित टीम में सिर्फ एक विकेटकीपर (कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी) का होना आश्चर्य में डालता है। आईपीएल में जिस विकेटकीपर ने सबसे ज्यादा दाद बटोरी वे थे कोलकाता नाइट राइडर्स के वर्द्धमान साहा।

चीते जैसी चपलता और बिजली जैसी गति के साथ गेंद को स्टम्प्स पर मारने की वजह से वर्द्धमान साहा सबकी आँखों का तारा बन गए। कम से कम उन्हें तो मौका मिलना ही चाहिए था। यूँ भी भारत पहले भी 2 विशुद्ध विकेटकीपरों के साथ दौरे करता रहा है। टीम में 8 गेंदबाज हैं, जिनमें से प्रवीण कुमार को साहा की जगह विश्राम दिया जा सकता था। वैसे भी दिनेश कार्तिक को बाहर रखा ही गया था।

  क्रिकेटप्रेमियों को यह भी उम्मीद थी कि राजस्थान रॉयल्स में 7 मैचों में 244 रन बनाने वाले स्वप्निल असनोदकर को 15 खिलाड़ियों में स्थान मिलेगा लेकिन उन्हें बाहर रखे जाने की वजह समझ से बाहर है। असनोदकर में गजब की प्रतिभा है      
क्रिकेटप्रेमियों को यह भी उम्मीद थी कि राजस्थान रॉयल्स में 7 मैचों में 244 रन बनाने वाले स्वप्निल असनोदकर को 15 खिलाड़ियों में स्थान मिलेगा लेकिन उन्हें बाहर रखे जाने की वजह समझ से बाहर है। असनोदकर में गजब की प्रतिभा है। उनकी बल्लेबाजी शैली किसी सिद्ध सीनियर क्रिकेटर जैसी लगती है।

महेन्द्रसिंह धोनी की नेतृत्व क्षमता पर कोई सवाल नहीं है। वे अपनी काबिलियत ट्‍वेंटी-20 क्रिकेट की विश्व विजेता टीम में बतौर कप्तान साबित कर चुके हैं। यही नहीं, उनके कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स सेमीफाइनल तक पहुँची है।

युवराजसिंह ने ट्‍वेंटी-20 क्रिकेट में विस्फोटक प्रदर्शन किया है, जबकि टीम के सबसे सीनियर खिलाड़ी वीरेन्द्र सहवाग की प्रतिभा को चयनकर्ताओं ने नजरअंदाज नहीं किया। सहवाग ने आईपीएल के 13 मैचों में 403 रन ठोंके और वे टॉप टेन में सातवें स्थान पर हैं। साफ जाहिर है कि नजफगढ़ के इस नवाब में ‍अभी काफी क्रिकेट बाकी है।

  क्रिकेट में दखल रखने वाले बरसों से कलम घिस-घिसकर हार गए कि कमजोर टीमों के खिलाफ तो युवाओं को मौका देना चाहिए, लेकिन चयनकर्ता अपना अड़ियल रुख छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं थे      
चयनकर्ताओं ने आईपीएल में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों को उसका पुरस्कार दिया है। गौतम गंभीर ने 13 मैचों में 523, रोहित शर्मा ने 13 मैचों में 404, यूसुफ पठान ने 14 मैचों में 334, सुरेश रैना ने 14 मैचों में 323, रॉबिन उथप्पा ने 14 मैचों में 320 रन बनाए। महेन्द्रसिंह धोनी 14 मैचों में 385 और युवराजसिंह 14 मैचों में 295 रन बना चुके हैं। जाहिर है कि उनका यह फॉर्म भारतीय क्रिकेट के हित में रहेगा।

यूसुफ पठान ने आईपीएल में गेंद और बल्ले से लाजवाब प्रदर्शन किया। इरफान पठान, श्रीसंथ, ईशांत शर्मा और आरपीसिंह भारतीय मध्यम तेज गेंदबाजी के मुख्य अस्त्र हैं, लिहाजा उन्हें तो टीम में जगह मिलना ही थी। प्रवीण कुमार और पीयूष चावला को अनुभव दिलाने के लिए बांग्लादेश ले जाया जाएगा।

चयनकर्ताओं का यह फैसला एकदम सटीक है कि बांग्लादेश के साथ-साथ यही टीम एशिया कप में भी खेलेगी। क्रिकेट में दखल रखने वाले बरसों से कलम घिस-घिसकर हार गए कि कमजोर टीमों के खिलाफ तो युवाओं को मौका देना चाहिए, लेकिन चयनकर्ता अपना अड़ियल रुख छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं थे। यह पहला प्रसंग है कि जब उन्होंने युवा खून को मौका देने का साहस दिखाया है।

शायद भारतीय क्रिकेट के मुखिया शरद पवार की ही सलाह होगी कि जनाब अब पुराने खून को आराम दिए जाने का वक्त आ गया है। यही कारण है कि चयनकर्ता दादा, द्रविड़ को ड्रेसिंग रूम से बाहर रखने में सफल रहे। वक्त का तकाजा भी यही है कि आपको समय के साथ चलना होता है वरना आप दौड़ से कब बाहर हो जाएँगे, पता ही नहीं चलेगा।

कुल मिलाकर दोनों दौरों के लिए एक संतुलित टीम की घोषणा ‍की गई है। क्रिकेट बिरादरी में बांग्लादेश को सबसे कमजोर टीम माना जाता है लेकिन जब वह अपने घर में खेल रही होती है तो कभी-कभी उग्र हो जाती है। भारत की युवा खून टीम की असली परीक्षा पाकिस्तान में खेले जाने वाले एशिया कप में होगी।

ट्‍वेंटी-20 क्रिकेट युवाओं के बूते की बात
भारतीयों पर भारी पड़े विदेशी

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