रणजी ट्रॉफी क्रिकेट टूर्नामेंट के 75 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन अपने 76वें साल में पहुँचा यह टूर्नामेंट लगता है अब बूढ़ा हो चला है। पहले जहां खिलाड़ियों के लिए घरेलू टूर्नामेंट में प्रदर्शन करना अनिवार्य हुआ करता था, वहीं अब अपनी पहचान खोता जा रहा है
रणजीत सिंह को न केवल इंग्लैंड टेस्ट टीम में खेलने का सौभाग्य प्राप्त है, बल्कि आज भी वह एक बेहतरीन बल्लेबाज के रूप में जाने जाते हैं। हर वर्ष आयोजित होने वाले इस टूर्नामेंट की ट्रॉफी पटियाला के महाराज एचएच भूपिंदर सिंह ने बीसीसीआई को दान किया