बेस्ट थी सौरव की सेना, एक खराब दिन ने 2003 का विश्वकप छीना
बुधवार, 29 मई 2019 (16:32 IST)
भारतीय क्रिकेट को हम दो हिस्सों में बांट सकते हैं। एक सौरव गांगुली के कप्तान बनने के पहले का हिस्सा और दूसरा बाद का। पहले भी भारतीय टीम जीतती थी, लेकिन वो उस शेर की तरह थी जो शिकार में दांत और नाखून का इस्तेमाल नहीं करता था। सौरव के कप्तान बनने के बाद भारतीय टीम ऐसा शेर बन गई जो दांत और नाखून का आक्रामक तरीके से उपयोग कर शिकार को दबोचने लगा। विरोधियों के हलक से जीत छिनने लगा।
यही नहीं सौरव गांगुली को भारतीय टीम की कमान तब मिली थी जब भारतीय क्रिकेट फिक्सिंग के जाल में फंसा था। सौरव गांगली ने अपने खिलाड़ियों की फहरिस्त बनाई और उन्हें मौके दिए। नतीजा यह हुआ कि घर का शेर कही जाने वाली टीम विदेशों में भी कमाल करने लगी। सौरव गांगुली की आक्रमक कप्तानी और बल्लेबाजी से सभी खिलाड़ियों में एका दिखा।
विश्वकप 2003- अफ्रीका में दहाड़ा बंगाल टाइगर
सौरव गांगुली की कप्तानी में एक ऐसी टीम दक्षिण अफ्रीका गई जिसमें युवा जोश के साथ अनुभवी होश भी था। इस टीम से कई लोगों को आशा थी। हालांकि विश्वकप की शुरुआत काफी खराब रही।
हॉलेंड से हुए पहला मैच टीम इंडिया जीत तो गई लेकिन महज 205 रन पर ऑल आउट हो गई। वहीं दूसरे मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 125 रन पर आउट हो गई और 9 विकेट से मैच गंवा बैठी । ऐसा लगा टीम पहले राउंड में ही बाहर हो जाएगी।
कड़ी आलोचना के बाद टीम ने अच्छी वापसी की और जिम्बाब्वे को हरारे में 83 रनों से हराया।नामिबिया से मैच एक तरफा रहा और भारत 181 रनों से जीत गया। भारत ने इंग्लैंड को भी 82 रनों से हरा दिया। अंतिम मैच पाकिस्तान से था और यह मैच यादगार रहा।सचिन के 98 रनों की बदौलत भारत 6 विकेट से यह मैच जीत गया। अब भारत फुल फॉर्म में आ गया था।
सुपर सिक्स के पहले मैच में भारत मुश्किल में था लेकिन सौरव गांगुली के शतक ने भारत को 6 विकेट से जिता दिया। इसके बाद श्रीलंका से हुआ मैच भी भारत 183 रनों से जीत गया। न्यूजीलैंड जैसी टीम से भी भारत 7 विकेट से जीत गया।
सेमीफाइनल में भारत का मुकाबला फिर केन्या से हुआ। यहां भी सौरव गांगुली ने शतक बनाया। भारत आसानी से 91 रनों से जीत गया।
फाइनल में भारत का मुकाबला फिर ऑस्ट्रेलिया से हुआ। रिकी पोंटिग के शानदार शतक की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने 360 रनों का विशालकाय लक्ष्य रख दिया। कंगारू गेंदबाजों के खिलाफ यह लक्ष्य आसान नहीं होने वाला था। ऑस्ट्रेलिया यह फाइनल 125 रनों से जीत गया। भारत इस टूर्नामेंट का रनर अप रहा।
फैंस और विशेषज्ञों के मताबिक यह काफी दुर्भाग्यशाली था क्योंकि यह टीम अब तक की बेस्ट टीम थी। 2000 में भी सौरव गांगुली चैंपियन्स ट्रॉफी न्यूजीलैंड से हार बैठे और 2002 में श्रीलंका से यह ट्रॉफी भारत को शेयर करनी पड़ी । फाइनल के दुर्भाग्य ने भारत को पीछा 2003 में विश्वकप में भी नहीं छोड़ा।