वेंकटराघवन का टेस्ट करियर खासा लंबा चला और बाद में जाकर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग भी की। बहरहाल इस विश्वकप में टीम के सदस्य रहे बिशन सिंह बेदी भी बाएँ हाथ के स्पिनर थे। इसके अलावा बल्लेबाजों को देखें तो सुनील गावस्कर, फारुख इंजीनियर और गुंडप्पा विश्वनाथ के नाम भी थे।
1975 के विश्वकप में टीम इंडिया ने इंग्लैंड, इस्ट अफ्रीका और न्यूजीलैंड से मैच खेला। पहले मैच में भारत इंग्लैंड से शर्मनाक तरीके से 202 रनों से हार गया। इसके बाद भारत का मैच हुआ ईस्ट अफ्रीका से यहां भारत शानदार तरीके से 10 विकेट से जीता। आखिरी मैच न्यूजीलैंड से जीतना बहुत जरूरी था लेकिन भारत यह मैच भी हार गया। ग्रुप बी में भारत आखिरी स्थान पर रहा।
75 की हार के बाद कई कप्तान आजमाए गए लेकिन निराशा हाथ लगी । इस कारण कप्तानी का जिम्मा वापस श्रीनिवासराघवन वेंकटराघवन के पास आ गया। ग्रुप स्टेज में भारत का मुकाबला गत चैंपियन वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड और श्रीलंका से मुकाबला होना था।
वेस्टइंडीज के विरुद्ध पहला मैच भारत ने आसानी से गंवा दिया। यह मैच वेस्टइंडीज 9 विकेट से जीत गई। न्यूजीलैंड से मुकाबला भी एकतरफा ही रहा और 182 का लक्ष्य कीवी टीम ने आसानी से हासिल कर लिया। दो मैच हारकर भारत की टीम के विश्वकप का सफर खत्म हो चुका था। कमजोर श्रीलंका के सामने भी भारत 239 का लक्ष्य नहीं बना सका और 191 पर आउट हो गया। इस विश्वकप में भारत को एक भी जीत नसीब नहीं हुई और टीम ग्रुप में सबसे आखिर पर रही।