दास ने कहा कि फिलहाल 500 रुपए और इससे छोटे नोटों की छपाई व आूपर्ति पर जोर दिया जा रहा है ताकि लोगों के पास 500 रुपए के नोट अधिक हों। ऐसी आशंकाएं व्यक्त की जा रहीं हैं कि 2000 रुपए के नोटों को फिर से दबाकर रखा जा सकता है, लेकिन यह नहीं होना चाहिए। नोटबंदी के तुरंत बाद 2000 रुपए मूल्य का नोट लाने के सरकार के कदम का ज्रिक करते हुए उन्होंने कहा कि इसके पीछे शुरुआती मकसद नई मुद्रा को जल्द से जल्द बाजार में लाना सुनिश्चित करना था।
सरकार ने इसके साथ ही नोटों का आकार भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा निर्देशों के अनुरूप छोटा किया है। इसके परिणामस्वरूप नोटों की छपाई 20 प्रतिशत बढ़ी है। एफआरबीएम समिति की सिफारिशों के बारे में दास ने कहा कि इसकी प्रमुख सिफारिशों को 2017-18 के बजट में शामिल कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि एनके सिंह की अध्यक्षता वाली एफआरबीएम समिति की रिपोर्ट बजट से कुछ दिन पहले ही प्राप्त हुई है। सरकार समिति की अन्य सिफारिशों को देख रही है।