कालीन, दियासलाई, रत्न पॉलिश व जवाहरात, पीतल व कांच, बीड़ी उघोग, हस्तशिल्प ,सूती होजरी, नारियल रेशा, सिल्क, हथकरघा, कढ़ाई, बुनाई, रेशम, लकड़ी की नक्काशी, फिश फीजिंग, पत्थर की खुदाई, स्लेट पेंसिल, चाय के बागान और बाल वैश्यावृत्ति के कार्य करते देखे जा सकते हैं। लेकिन कम उम्र में इस तरह के कार्यों को असावधानी से करने पर इन्हें कई तरह की बीमारियां होने का खतरा होता है।अध्ययन करने पर ये पाया गया, कि जितने भी बच्चे बालश्रम में लिप्त हैं, वे या तो निरक्षर थे या पढ़ाई छोड़ दी थी।इनमें अधिकांश बच्चे बीमार पाए गए और कई बच्चे नशे के आदि भी थे।