विमुद्रीकरण के मुद्दे पर जब डॉ. मनमोहन सिंह राज्यसभा में केंद्र सरकार को घेरते हुए कांग्रेस का पक्ष रख रहे थे, तो मैं उनके भाषण को बहुत ध्यान से सुन रहा था। विमुद्रीकरण को लेकर उन्होंने एक वाक्य कहा, 'यह संगठित लूट है।' डॉ. मनमोहन सिंह ने इसके तमाम नुकसान गिनवाए। उनके भाषण में कृषि की चिंता थी, जीडीपी की चिंता थी, ग्रामीण सहकारी बैंकों में होने वाली समस्याओं की चिंता थी, गरीबों की चिंता थी और दूरगामी परिणामों में लगने वाले वक्त की चिंता थी। साथ ही उन्होंने कुछ रचनात्मक प्रस्ताव के साथ आने की सलाह देते हुए सरकार की आलोचना भी की।