सिर पर ठेठ देहाती पगड़ी, पांवों में हवाई चप्पल, साधारण-सी कमीज और उसके भीतर झांकती बनियान। इस तरह के 35-40 लोगों के समूह को देखकर आपको पहली नजर में हवाई अड्डे पर होने का अहसास तो बिलकुल भी नहीं होगा। ऐसा लगेगा मानो आप किसी रेलवे स्टेशन का दृश्य देख रहे हों, लेकिन इंदौर के हवाई अड्डे पर जब उत्साह से भरे इन लोगों को देखा तो सुखद आश्चर्य होना स्वाभाविक था।
दरअसल, यह दृश्य हमारी पूरी आबादी में किस तरह बदलाव हो रहे हैं, उसको बखूबी इंगित करता है। यह इस बात का भी संकेत है कि सिर्फ युवा वर्ग और खास तबका ही सपनों की उड़ान नहीं भर रहा है, बल्कि आम लोग भी अब उड़ान का अपना सपना पूरा कर रहे हैं।