पांडुलिपि, जिसमें छुपा है जीवन का संपूर्ण रहस्य...
इंदौर। प्राचीन और मध्यकाल में हस्तलिखित दस्तावेज बहुत होते थे। उनमें से लाखों तो लुप्त हो गए या जला दिए गए। फिर भी हजारों आज भी किसी लाइब्रेरी, संग्रहालय, आश्रम में या किसी व्यक्ति विशेष के पास सुरक्षित हैं।
पेशे से टेलरिंग का कार्य करने वाले 68 वर्षीय नरेन्द्र चौहान के पास यह पांडुलिपि उनके पिताजी से प्राप्त हुई थी। उनके पिताजी को यह पांडुलिपि कहां से प्राप्त हुई? यह वे नहीं जानते। लेकिन वे यह जरूर कहते हैं कि यह पांडुलिपि सैकड़ों साल पुरानी है और इस पर शोध करने की जरूरत है। उनके अनुसार इस पांडुलिपि की भाषा मराठी, हिन्दी, संस्कृत और मालवी-मिश्रित है और लिपि देवनागरी है।