भारतीय शास्त्रों और संस्कृति में अंतर्द्वंद्व और संघर्ष का उल्लेख बराबर होता है। यह संघर्ष हर काल में, हर व्यक्ति के जीवन में होता है लेकिन दूसरों से घृणा करने या उन्हें नुकसान पहुँचाने के लिए नहीं, वरन सबके कल्याण के लिए आवश्यक माना जाता है
ज्ञान आयोग बन रहे हैं, फिर भी अज्ञान का अँधेरा अधिक भयावह दिखने लगा है। आर्थिक विकास हो रहा है लेकिन लक्ष्मी-पूजा के बाद संपूर्ण समाज की सुख-शांति, गरीबों को प्रसाद की तरह सहायता और दान-पुण्य की भावना लगभग विलुप्त हो रही है