ब्‍लॉग चर्चा : उदय प्रकाश का ब्‍लॉग

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ब्‍लॉग चर्चा की अगली कड़ी में प्रस्‍तुत है, हिंदी के प्रख्‍यात कवि और लेखक उदय प्रकाश का ब्‍लॉग। हिंदी साहित्‍य में तनिक भी रुचि रखने वालों के लिए उदय प्रकाश का नाम नया नहीं है। शब्‍दों के अनूठे शिल्‍प में बुनी कविताओं और उससे भी ज्‍यादा अनूठे गद्य शिल्‍प के लिए जाने जाने वाले उदय प्रकाश का ब्‍लॉग की दुनिया में पदार्पण एक सुखद घटना है

सफर की शुरुआत : सन् 2005 में जब हिंदी में कोई ठीक से ब्‍लॉग का नाम भी नहीं जानता था, उदय प्रकाश ने अपने ब्‍लॉग की शुरुआत की, लेकिन यह सिलसिला ज्‍यादा लंबा नहीं चला। लंबे अंतराल के बाद अब फिर उस सफर की शुरुआत हुई है।

जिन्‍होंने 'पालगोमरा का स्‍कूटर', 'वॉरेन हेस्टिंग्‍ज का सांड़' और ‘तिरि’ सरीखी कहानियाँ पढ़ी हैं और जो उनके लेखन से वाकिफ हैं, उन्‍हें ब्‍लॉग पर उदय जी के लिखे का जरूर इंतजार होगा। उनके ब्‍लॉग पर आई प्रतिक्रियाएँ भी यह बताती हैं

इस ब्‍लॉग की शुरुआत के पीछे उदय प्रकाश का मकसद एक ऐसे मंच की तलाश थी, जहाँ किन्‍हीं नियमों और प्रतिबंधों के बगैर उन्‍मुक्‍त होकर अपनी कलम को अभिव्‍यक्‍त किया जा सके, जहाँ कोई सेंसरशिप न हो, जो कि प्रिंट या इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया में संभव नहीं है। उदय प्रकाश का मानना है कि एक सच्‍चा रचनाकार निर्बंध होकर अपने समय का सच लिखना चाहता है। पहले लेखक डायरियाँ लिखा करते थे। मुक्तिबोध की पुस्‍तक 'एक साहित्यिक की डायरी' बहुत प्रसिद्ध है। अब टेक्‍नोलॉजी ने हमें एक नया माध्‍यम दिया है। हिंदी में ब्‍लॉग की दुनिया का धीरे-धीरे विस्‍तार हो रहा है। हमें अपनी बात व्‍यापक पैमाने पर लोगों तक पहुँचाने के लिए इस माध्‍यम का इस्‍तेमाल करना चाहिए

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वे कहते हैं, 'निजी स्‍वतंत्रता के आधुनिक विचार के लिए भी ब्‍लॉग की दुनिया में जगह है। ब्‍लॉग के माध्‍यम से कितने सार्थक काम और बहसें हो रही हैं, यह एक अलग मुद्दा है, लेकिन ब्‍लॉग लेखक को एक निजी किस्‍म की स्‍वतंत्रता देता है। उस स्‍पेस का इस्‍तेमाल लेखक अपने तरीके से निर्बंध होकर कर सकता है।'

हिंदी में ब्‍लॉगिंग के भविष्‍य के बारे में उदय प्रकाश का कहना है कि यदि यह माध्‍यम और सस्‍ता होकर बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुँचता है तो आने वाले कुछ वर्षों में ब्‍लॉगिंग के कुछ बड़े नतीजे भी सामने आ सकते हैं। यह ज्‍यादा सार्थक रूप में गंभीर सामाजिक और वैचारिक बहसों का मंच बन सकता है। जिस तेजी के साथ इंटरनेट और ब्‍लॉग का हिंदी में प्रसार हो रहा है, इस बात की पूरी संभावना हो सकती है।

फिलहाल आप मुक्तिबोध से लेकर असद जैदी और कुँवर नारायण तक की कविताएँ उदय प्रकाश के ब्‍लॉग पर पढ़ सकते हैं। मुक्तिबोध की एक शानदार अप्रकाशित कविता 'अगर तुम्‍हें सच्‍चाई का शौक है' का आनंद उदय प्रकाश के ब्‍लॉग पर उठाया जा सकता है।
'निजी स्‍वतंत्रता के आधुनिक विचार के लिए भी ब्‍लॉग की दुनिया में जगह है। ब्‍लॉग के माध्‍यम से कितने सार्थक काम और बहसें हो रही हैं, यह एक अलग मुद्दा है, लेकिन ब्‍लॉग लेखक को एक निजी किस्‍म की स्‍वतंत्रता देता है।


अगर तुम्हें सच्चाई का शौक ह
तो खाना मत खाओ तुम
कहते हैं बुद्धिमान
पहनो मत वस्त्र और रहो तुम वनवासी बर्बरों की स्थिति मे
सड़कों पर फेंक द
अपनों को बच्‍चों को
वीरान सूरज की किरनों से घावों को सेंक ल
दुनिया के किसी एक कोने में चुपचाप
जहर का घूँट पी मर जाने के लिये.....

फर्नांदो पेसाओ की कविता 'पैक योर बैग्‍स फॉर नोव्‍हेयर एट ऑल' अँग्रेजी मूल में आप वहाँ पढ़ सकते हैं

गंभीर साहित्‍य में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए उदय प्रकाश का ब्‍लॉग ऐसी जगह हो सकती है, जहाँ वे कुछ सार्थक घंटे बिता सकें। इसके लिए उदय जी को भी निरंतर अपने ब्‍लॉग पर कुछ-न-कुछ ऐसा देते रहना होगा, जो ज्‍यादा लोगों तक पहुँच नहीं पाता, लेकिन जिसकी सुधी पाठकों को जरूरत है, वे पढ़ना चाहते हैं

ब्‍लॉग - उदय प्रकाश
URL - http://uday-prakash.blogspot.com/