Maharana Pratap Death Anniversary : महाराणा प्रताप भारत के इतिहास में एक महान योद्धा और राजपूत शासक थे। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर के आक्रमण का बहादुरी से मुकाबला किया था। उनकी पुण्यतिथि हर साल 19 जनवरी को मनाई जाती है। आइए जानते हैं उनके बारे में...
महाराणा प्रताप एक वीर योद्धा थे और उनका जन्म 9 मई, 1540 को मेवाड़ के कुंभलगढ़ किले में हुआ था। बचपन में उन्हें 'कीका' नाम से बुलाया जाता था। उनके पिता का नाम महाराणा उदयसिंह और माता जीवत/ जयवंत कंवर थीं। वे राणा सांगा के पौत्र थे। राजपूताना राज्यों में मेवाड़ का एक अपना विशिष्ट स्थान है जिसमें महाराणा प्रताप ने जन्म लिया है। इतिहास के गौरव महाराणा प्रताप उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे और उनके कुल देवता एकलिंग महादेव हैं।ALSO READ: स्वामी विवेकानंद और सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर इस बार क्या खास किया जा रहा है?
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया और अपने पूरे जीवनकाल में मुगलों से लड़ते रहे। उनका सबसे प्रसिद्ध युद्ध हल्दीघाटी का युद्ध था, जिसमें उन्होंने मुगल सेना को कड़ी टक्कर दी थी। वे एक कुशल योद्धा और शासक थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई युद्ध लड़े और मुगलों को कभी भी हराने नहीं दिया। महाराणा प्रताप का घोड़ा 'चेतक' उनकी वीरता का प्रतीक था।
महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि का महत्व : महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि हमें उनके बलिदान और देशभक्ति को याद दिलाती है। महाराणा प्रताप को भारत का राष्ट्रीय गौरव माना जाता है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम भी अपने देश के लिए कुछ करें। इस दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि...
• सभाएं: महाराणा प्रताप के विचारों और कार्यों पर चर्चा करने के लिए सभाएं आयोजित की जाती हैं।
• सैन्य परेड: कई जगहों पर सैन्य परेड आयोजित की जाती है।
• लेखन प्रतियोगिताएं: महाराणा प्रताप के जीवन पर आधारित लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।
• समारोह: महाराणा प्रताप के जीवन और कार्यों पर आधारित कार्यक्रम स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित किए जाते हैं।
महाराणा प्रताप से जीवन से लें ये सीख : महाराणा प्रताप के जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। जैसे कि...
• अखंडता: उन्होंने अपने सिद्धांतों पर कभी समझौता नहीं किया।
• देशभक्ति: उन्होंने अपने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।
• साहस: उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी।
महाराणा प्रताप की मृत्यु कब हुई थी : उनका निधन 19 जनवरी 1597 को हुआ था और महाराणा प्रताप ने जीवन काल में अपने मेवाड़ को बहुत सुरक्षित कर दिया था। अत: हमें चाहिए कि महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए।
ऐसे महान व प्रतापी शूरवीर, शौर्य, पराक्रम व बलिदान के पर्याय महाराणा प्रताप को नमन।
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