delhi election jat reservation : दिल्ली विधानसभा चुनाव में जाट आरक्षण बड़ा चुनावी मुद्दा बनता नजर आ रहा है। इस बीच कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव ने दावा किया कि शीला दीक्षित के राज में दिल्ली के जाटों को आरक्षण मिलता था। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर इसे आगे नहीं बढ़ाने का आरोप लगाया। यादव ने इस मामले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल पर भी निशाना साधा।
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली की सूची में जाट आरक्षण पहले से लागू है, यह शीला दीक्षित के समय से लागू है। 2013 में जब UPA सत्ता में थी, तब UPA ने जाटों को OBC का दर्जा दिया था और करीब 7 राज्यों के जाटों को इसमें शामिल किया था। 2014 में इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, तब तक NDA सरकार केंद्र में आ चुकी थी, उन्होंने इसे उस तरह से आगे नहीं बढ़ाया, इसलिए यह बाहर हो गया।
यादव ने कहा कि उस समय अरविंद केजरीवाल कहां थे, क्या उस समय उन्हें चिंता नहीं थी? आज 11 साल बाद जब चुनाव हैं, तो अरविंद केजरीवाल को ऐसी बातें याद आ रही हैं। निश्चित तौर पर अगर उस समय भाजपा ने इसका सही तरीके से प्रतिनिधित्व किया होता, तो आज जाटों को इसका फायदा मिल सकता था। ये दोनों (भाजपा और आम आदमी पार्टी) सरकारें और इनके नेता सिर्फ राजनीति करते हैं।
उन्होंने दावा कि 2015 में भाजपा ने जाट नेताओं को प्रधानमंत्री आवास पर आमंत्रित किया और उन्हें आश्वासन दिया कि दिल्ली के जाट समुदाय को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी 2019 में यही वादा किया था। हालांकि, इन वादों को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया गया।
इधर जाट आरक्षण के मसले पर भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने भी केजरीवाल पर पलटवार करने में देर नहीं की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहले प्रस्ताव पास करती है और उस प्रस्ताव को नेशनल ओबीसी कमीशन में भेजती है। पिछले 10 सालों में केजरीवाल ने एक बार भी उन्होंने जाटों को केंद्रीय ओबीसी लिस्ट में डालने का प्रस्ताव पास नहीं किया।