पप्पुओं के वोट से दिल्ली में पास हो गई कांग्रेस

राष्ट्रीय राजधानी में शीला दीक्षित सरकार की तीसरी बार वापसी से खुद कांग्रेस के नेता हैरान हैं और इसमें उन नए मतदाताओं का रूझान भी महत्वपूर्ण भूमिका के तौर पर गिनाया जा रहा है, जिन्होंने पप्पू कहलाए जाने से बचने के लिए वोट डालना जरूरी समझा।

चुनाव आयोग ने इस बार दिल्ली में इस बात का जोरदार प्रचार किया था कि दिल्ली में अनेक मतदाता सरकार की तमाम सुविधाओं का फायदा तो उठाते हैं लेकिन वे वोट डालने नहीं जाते। चुनाव आयोग के इस विज्ञापन का युवा वर्ग पर खास तौर से असर हुआ, जिन्होंने तर्जनी अँगुली पर वोट डालने का निशान लगवाया ताकि लोग उन्हें पप्पू नहीं कह सकें।

कांग्रेस के सूत्रों ने स्वीकार किया कि इस बार युवाओं में मतदान के लिए जोरदार उत्साह था और अमेठी से कांग्रेस सांसद राहुल गाँधी की अपील का असर भी इन वोटरों पर देखा गया1 यही कारण रहा कि इस बार दिल्ली विधानसभा के चुनाव में पिछले चुनाव के मुकाबले दस प्रतिशत अधिक मतदान हुआ।

पार्टी सूत्रों ने कहा कि युवा मतदाताओं का रूझान कांग्रेस के प्रति पहले से रहा है और दिल्ली विश्व विद्यालय छात्र संघ के चुनावों में यह बात सामने आती रही है लेकिन विधानसभा चुनाव में वोट डालने जाने में उन्हें तौहीन महसूस होती थी, लेकिन पप्पू वोट नहीं देता...के नारे ने ऐसे मतदाताओं पर खासा असर किया, जिन्हें अब वोट नहीं डालना तौहीन महसूस हुआ।

कांग्रेस के एक नेता ने जीत के उल्लास में चुटकी लेते हुए कहा...'पप्पू भी पास हो गया और कांग्रेस को भी पास करा गया।'

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