उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कराई जानी चाहिए। केंद्र सरकार भड़काऊ भाषणबाजी करने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रही है।