आज के परिवेश में माता-पिता के सामने बच्चों के भविष्य को लेकर अनिश्चय तथा अनिर्णय की स्थिति एक बड़ी समस्या है...। तेजी से बदलता शिक्षा का माहौल और शिक्षा-दीक्षा के उपरांत नौकरी या व्यवसाय का प्रश्न बना ही रहता है... परंतु ऐसा कोई हल नहीं मिलता जिससे आशान्वित और थोड़ा निश्चिंत हुआ जा सके...।
ज्यादा से ज्यादा हम या बच्चे अपने आसपास के सफल लोगों को देखकर या बहुधा तो जमाने के चलन को देखकर ही यह निर्णय लेते हैं कि उन्हें क्या पढ़ना चाहिए पर जब सारा कुछ होने के बाद सफलता हाथ नहीं लगती तो निराशा आना स्वाभाविक ही है!
अक्सर जीवन की इस किशोरवय में लिया हमारा एक सही निर्णय भविष्य का सारा खाका बदलने की ताकत रखता है... तब ऐसे में हमारा निर्णय सही हो व तुरंत हो यह कितना जरूरी है हम आसानी से समझ सकते हैं...।
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देखा गया है कि विपश्यना साधना हमारे निर्णय लेने की, सोच के दायरे को विशाल बनाने की, दूसरों को समझने और समझाने की, विषम परिस्थितियों में सहज रहने की और इन सबसे बढ़कर नैतिकता जो कि किसी भी व्यवसाय या नौकरी की रीढ़ होती है, का समुचित एवं नैसर्गिक विकास करने की अद्भुत काबिलियत रखती है।
तुरंत परिणाम पाने का इच्छुक किशोर वर्ग विपश्यना के आश्चर्यपूर्ण तात्कालिक लाभों से बहुत प्रभावित है, क्योंकि आज के युवाओं को अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त करने के लिए हम कोई भी शैक्षणिक प्रशिक्षण नहीं दे पा रहे हैं और भीषण प्रतिस्पर्धायुक्त तथा सिकुड़ते हुए विश्व में जीवित रहने के लिए संघर्ष चलता रहता है और कार्य-संबंधी नैतिकता का अभाव है तो युवा अनिवार्य रूप से तनावग्रस्त होने के लिए बाध्य हो जाता है।
वे युवाजन जिनका अध्यात्म के प्रति झुकाव तो है किंतु धर्म के नाम पर घर और समाज में फैले हुए पाखंड और अशांति के कारण दुविधा में पड़े हुए हैं उनके लिए विपश्यना एक स्वर्गीय देन है। आज के युवा वर्ग ने सार्वजनिक रूप से विपश्यना को एक वैज्ञानिक विधि के रूप में स्वीकार कर लिया है।