गुंडिचा मन्दिर में आठ दिवस विश्राम करने के पश्चात दशमी के दिन भगवान जगन्नाथ पुनः अपने मुख्य निवास पर लौट आते हैं। इस दिवस को बहुदा यात्रा अथवा वापसी यात्रा के रूप में जाना जाता है। यात्रा के बीच एक छोटे से पड़ाव पर भगवान रुकते हैं जिसे मौसी माँ मन्दिर के रूप में जाना जाता है, जो कि, देवी अर्धाशिनी को समर्पित एक दिव्य स्थल है। इसके बाद देवशयनी एकादशी के पहले ही भगवान अपने धाम में पुन: लौट आते हैं। इसके बाद भगवान चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं।