यह देखा गया है कि बहुत से साधु शारीरिक और मानसिक हलचल को रोककर ध्यान लगाने के लिए तरह-तरह की औषधि और जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करते हैं। यह भी देखा गया है कि कुछ कथित साधु इसके लिए भांग, गांजा, चरस आदि नशे के पदार्थों का सेवन भी करते हैं, लेकिन धर्म में यह सब वर्जित माना गया है। आधुनिक युग में लोग संगीत का इस्तेमाल करते हैं।
हालांकि यह सच है कि ध्यान की सफलता के लिए साधु-संत जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करते रहे हैं। यह ऐसी जड़ी-बूटियां हैं जिनके माध्यम से सिद्धियां भी प्राप्त की जा सकती है। सभी का इस्तेमाल मानसिक शांति और स्थिरता के लिए किया जाता रहा है। इन जड़ी-बूटियों से थकान, खबराहट, बैचेनी, मानसिक अशांति और शारीरिक रोग दूर हो जाते हैं।
आयुर्वेद के पुराने ग्रंथ चरक संहिता के अनुसार जड़ी बूटियों से हमारी याद करने की क्षमता और सीखने की क्षमता बढ़ती है जिससे ध्यान में भी मदद मिलती है।
इन जड़ी-बूटियों का उल्लेख योग, आयुर्वेद और ध्यान की किताबों में मिलता है। माना जाता रहा है कि सोमरस भी इसी के लिए इस्तेमाल किया जाता था। आप कोई भी जड़ी-बूटी चुन सकते हैं और फिर जड़ी-बूटियों का काम्बिनेशन में उपयोग कर सकते हैं क्योंकि जड़ी बूटियों के प्रभाव हमेशा सिनर्जेस्टिक होते हैं। हालांकि इसका विशेष ध्यान रखें कि जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अनुसार की किया जाना चाहिए। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक क्षमता और तासीर अलग-अलग होती है।
आओ जानते हैं कि वे कौन-कौन सी जड़ी बूटियां हैं...
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जब हम योग और ध्यान की तमाम किताबों का अध्ययन करते हैं तो उनमें कुछ जड़ी-बूटियों का वर्णन मिलता हैं। व्यक्ति अपनी सुविधा और पसन्द के अनुसार किसी भी जड़ी बूटी का प्रयोग कर सकता हैं।
बाह्मी : ब्राह्मी नाम से कई तरह के टॉनिक बनते हैं। ब्राह्मी दरअसल एक जड़ी है जो दिमाग के लिए बहुत ही उपयोगी है। यह दिमाग को शांत कर स्थिरता प्रदान करती है साथ ही यह याददाश्त बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
योग और आयुर्वेद अनुसार बाह्मी से हमारे चक्र भी सक्रिय होते हैं। माना जाता है कि इससे दिमाग के बाएं और दाएं हेमिस्फियर संतुलित रहते हैं। ब्राह्मी मे एन्टी ऑक्सीडेंट तत्व होते हैं जिससे दिमाग की शक्ति बढऩे लगती है।
सेवन : आधे चम्मच बाह्मी के पावडर को गरम पानी में मिला लें और स्वाद के लिए इसमें शहद मिला लें और मेडिटेशन से पहले इसे पीएं तो लाभ होगा। इसके 7 पत्ते चबाकर खाने से भी वही लाभ मिलता है।
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जटामासी : जटामासी का नाम आप जानते ही होंगे। यह जड़ी भी उत्तेजित दिमाग को शांति पहुंचाती है। किसी भी तरह की बैचेनी और घबराहट को हटाती है। यह ज्यातातर हिमालय में पायी जाती है। माना जाता है कि इसमें वैलेरियन होता है जिसके कारण यह याददाश्त बढ़ाने में भी सहायक होता है। जटामासी से अनिंद्र रोग भी दूर होता है। इससे मीठी नींद आती हैं।
सेवन : एक चम्मच जटामासी को एक कप दूध में मिलाकर 5 मिनट तक छोड़ दें और सुबह पी लें।
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जपा: जपा को अंग्रेजी में हिबिस्कस कहते हैं। जपा का अर्थ है मंत्र का बार-बार उच्चारण। मंत्र की मदद से भी ध्यान में मन लगता है। जप करते रहेंगे तो मन कहीं और नहीं भटकेगा। यह औषधि मंत्र की तरह है तो मन को एकाग्र करने में सहायक सिद्ध होती है।
सेवन : जपा के एक चौथाई फूल को डेढ़ पाव ठंडे पानी में मिला दें और इसे एक कप गरम चाय के साथ पीएं।
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अखरोट : अखरोट को आप फोड़ेंगे तो उके अंदर आपको दिमाग के आकार प्रकार का एक सोफेद फल मिलेगा। यह दिमाग के लिए सबसे बेहतर औषधि है। इसके नियमित सेवन से जहां दिमाग मजबूत और तेज बनता है वहीं यह स्मरण शक्ति बढ़ाने में सहायक है। इसका नियमित उपयोग हितकर है।
सेवन : 20 ग्राम अखरोट और साथ में 10 ग्राम किशमिश लेना चाहिए।
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शंख पुष्पी : शंख पुष्पी का नाम तो सभी ने सुना होगा। यह बु्द्धि और स्मृति बढ़ाने में सहायक सिद्ध होती है। इससे दिमाग में सक्रिता बढ़ जाती है जिसके कारण हमारी रचनात्मकता भी बढ़ जाती है।
सेवन : आधे चम्मच शंख पुष्पी को एक कप गरम पानी में मिला कर लें। यह भी ध्यान में प्रभावी हैं।