दिवाली पर दीपक हम सब जलाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ विशेष प्रकार के दीपक विशेष संख्या में जलाने पर जीवन की हर बाधा का निवारण होता है और हर तरह का ऐश्वर्य और सौभाग्य प्राप्त होता है। पढ़ें अनोखी जानकारी....
1. पीतल का दीया :
इस दीपक की दिशा पूर्व का होना चाहिए। यह घी का दीपक होना चाहिए। दीपक संख्या 2 रखें। समय सूर्योदय का होना चाहिए।
लाभ : लक्ष्मी का आगमन और सभी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है
2 . उडद का दीया :
इस दीपक की दिशा उत्तर और दक्षिण का होना चाहिए। दो बाती का दीपक बनाएं। तिल के तेल का दीपक होना चाहिए। दीपक संख्या 3 रखें। समय निशा काल रात्रि 11 बजे के बाद का होना चाहिए।
लाभ : नकारात्मक शक्तियां दूर होती है, अतृप्त आत्माओं को शान्ति मिलती है।
3 . मिटटी का दीया
इस दीपक की दिशा दक्षिण होना चाहिए। चार बाती अर्थात चौमुख दीपक होना चाहिए। सरसो के तेल का दीपक होना चाहिए। दीपक संख्या एक रखें। समय देर रात्रि 10 बजे के बाद।
लाभ : पितरों को प्रसन्नता प्राप्त होती है।
4 . आटा और गंगाजल मिला दीया
इस दीपक की दिशा संध्या समय में ईशान कोण में होना चाहिए। घी का दीपक हो और एक बाती लगाएं। दीपक संख्या पांच रखें। समय संध्या गोधूलि का समय 05 से 06 बजे
लाभ : आरोग्य प्राप्ति होती है, ज्ञान बढ़ता है, गुरु कृपा प्राप्त होती है।
5 . हल्दी आटा मिला हुआ दीया
दिशा ईशान कोण, एक मुखी दीपक , घी गाय का। समय सूर्यास्त से एक घंटे के बाद। दीपक संख्या सात रखें।
लाभ : गुरु का आशीष प्राप्त होता है। संतान का कष्ट समाप्त होता है।
6 . आटा और गुलाब जल मिला दीया
दिशा पूर्व, समय सूर्यास्त के पहले, दीपक गाय के घी का होना चाहिए। दीपक की संख्या सात रखें।
लाभ : लक्ष्मी प्राप्ति और आर्थिक कष्ट दूर होता है। व्यापारिक उन्नति होती है।
7 . गुड़ मिला दीया
दिशा उत्तर का होना चाहिए, दीपक घी का होना चाहिए। एक बाती होना चाहिए। समय मध्य रात्रि 12 बजे, दीपक संख्या 14 रखें।
लाभ : मां शक्ति की कृपा प्राप्त होती है और सिद्धि मिलती है।