Bhai Dooj 2021: भाई दूज या भैया दूज पर्व को भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। यह तिथि दीपावली के दूसरे दिन आती है। आओ जानते हैं कि भाई दूज कब है, तिलक लगाने का मुहूर्त कब है और क्या है इसकी पूजा विधि।
भाई दूज का महत्व : भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे, इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा की शुरुआत हुई। भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध करके द्वारिका लौटे थे और तब बहन सुभद्रा ने उन्हें विजयी तिलक लगाकर उका फल, फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर स्वागत किया था। साथ ही उनकी दीर्घायु की कामना की थी। इसीलिए इस दिन यम देवता और श्रीकृष्ण की पूजा करने का महत्व है। भाई दूज का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती है। वहीं भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार देता है।
मान्यता है कि इस दिन बहनें आसमान में उड़ती हुई चील देखकर अपने भाईयों की लंबी आयु के लिए जो प्रार्थना करती हैं, वह पूर्ण हो जाती है और साथ ही वह अखंड सौभाग्यवती रहती हैं। इसके साथ ही इस दिन भाई और बहन यमुना नदी में स्नान कर इसके तट पर यम और यमुना का पूजन करते हैं जिससे दोनों ही अकाल मृत्यु से छुटकारा पाकर सुखपूर्वक जीवनयापन करते हैं।
4. फिर भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं, उसके ऊपर थोड़ा सा सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, सुपारी, मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ें। फिर हाथों में कलवा बांधे।
5. कहीं-कहीं पर इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर कलाइयों में कलावा बांधती हैं। इसके बाद माखन-मिश्री से भाई का मुंह मीठा करें। फिर भोजन कराएं।
6. कलावा बांधने के बाद अब शुभ मुहूर्त में तिलक लगाएं और आरती उतारें। उपरोक्त सभी सामग्री से भाई की पूजा करें और फिर आरती उतारें।
7. तिलक की रस्म के बाद बहनें भाई को भोजन कराएं और उसके बाद उसे पान खिलाएं। भाई दूज पर भाई को भोजन के बाद पान खिलाने का ज्यादा महत्व माना जाता है। मान्यता है कि पान भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है।