Dhan Varsha Potli Vidhi: दिवाली पर लक्ष्मी धन वर्षा पोटली बनाने की विधि, हजारों साल पुरानी परंपरा को आजमाएं

WD Feature Desk

शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 (11:50 IST)
kuber laxmi potli samagri dhan varsha potli vidhi: दिवाली के दिन आपके घर में धन धान्य समृद्धि बढ़ती रहे और बरकत बनी रहे इसलिए कई घरों में दिवाली की पोटली बनाते हैं। यह पोटली माता लक्ष्मी के पूजन के समय बनाते हैं। यदि आपने अब तक नहीं बनाई है तो जानिए कि किस तरह घर में बनाकर इस तिजोरी रखें ताकि वर्षभर आपके घर स्थायी लक्ष्मी का निवास हो।
 
पोटली बनाने का शुभ समय: धनतेरस की शाम प्रदोषकाल में या दिवाली की रात को लक्ष्मी पूजन के समय इस पोटली को बनाना सबसे उत्तम माना जाता है।
 
पोटली बनाने की आवश्यक सामग्री (Samagri)
1. वस्त्र (कपड़ा): लाल या पीले रंग का एक नया चौकोर कपड़ा। (यह कपड़ा शुद्ध और पवित्र होना चाहिए)।
2. अक्षत, लौंग और इलाइची: थोड़े से साबुत चावल (बिना टूटे हुए), हरी इलाइची और लौंग। 
3. साबुत धनिया: थोड़ी मात्रा में साबुत धनिया के बीज।
4. कमल गट्टा: 5 या 7 कमल गट्टे के बीज (यह मां लक्ष्मी को प्रिय हैं)।
5. गोमती चक्र: 5 या 7 गोमती चक्र।
6. कौड़ी: 5 या 7 पीली कौड़ियाँ (पुराने समय में यह मुद्रा के रूप में इस्तेमाल होती थी)। सफेद कौड़ी को हल्दी के घोल से पिला कर लें।
7. हल्दी: साबुत हल्दी की एक गांठ 2 या 5 रखें।
8. सिक्का/मुद्रा: एक चांदी का सिक्का (जिस पर लक्ष्मी-गणेश अंकित हों) या आपकी श्रद्धानुसार कुछ रुपए (नए कड़क नोट या सिक्के)।
9. मौली/कलावा: पोटली को बांधने के लिए।
10. पूजा सामग्री: कुमकुम, हल्दी, गंगाजल, पंचांमृत आदि।
 
पोटली बनाने की चरण-दर-चरण विधि: Step-by-Step Method
1. पोटली तैयार करना: सबसे पहले लाल/पीले कपड़े को गंगाजल से शुद्ध करें।
2. सामग्री रखना: कपड़े के मध्य में सबसे पहले चांदी का सिक्का या रुपए रखें।
3. अन्य वस्तुएं: अब उसके ऊपर साबुत चावल (अक्षत), साबुत धनिया, पूजन का फूल, कमल गट्टा, गोमती चक्र, पीली कौड़ी और हल्दी की गांठ आदि सभी रखें।
4. तिलक: सभी सामग्रियों पर थोड़ा सा कुमकुम और हल्दी छिड़कें।
5. मंत्र जाप द्वारा अभिमंत्रित करना: पोटली की सभी सामग्रियों को हाथ में लेकर या पूजा स्थल पर रखकर, कमल गट्टे की माला से कम से कम 11, 21 या 108 बार माँ लक्ष्मी के किसी सिद्ध मंत्र का जाप करें।
6. लक्ष्मी मंत्र: 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।' इस मंत्र को कम से कम 21 बार जप करें।
7. कुबेर मंत्र: 'ॐ कुबेराय नमः।'
8. पोटली बांधना: मंत्र जाप के बाद, कपड़े के चारों कोनों को एक साथ पकड़कर पोटलीनुमा आकार दें और इसे मौली (कलावा) से अच्छी तरह से बाँध दें।
9. स्थापना: इस तैयार धन वर्षा पोटली को दिवाली पूजन के दौरान माता लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें और पूजा संपन्न करें।
10. तिजोरी: अगले दिन इस पोटली को अपने घर की तिजोरी में रख दें।
 
धन वर्षा पोटली के प्रमुख नियम: Dhan Varsha Potli Niyam:-
1. कहां रखें: पूजा संपन्न होने के बाद इस पोटली को उठाकर अपने घर की तिजोरी, कैश बॉक्स, या जहाँ आप अपना धन और आभूषण रखते हैं, वहाँ रख दें।
 
2. क्या न करें: पोटली को तिजोरी में रखने के बाद इसे साल भर तक नहीं खोलना चाहिए और न ही इसमें रखी गई सामग्री को देखना चाहिए।
 
3, अगले वर्ष: इस पोटली को अगले साल दिवाली के समय ही खोला जाता है।
 
4. विसर्जन: पोटली में से उन वस्तुओं (जैसे फूल, या यदि धनिया खराब हो गया हो) को निकालकर किसी बहते जल में या पौधे की मिट्टी में विसर्जित कर दें।
 
5. पुनः उपयोग: चांदी का सिक्का, कौड़ी, गोमती चक्र और कमल गट्टे जैसी वस्तुओं को गंगाजल से धोकर और पुनः अभिमंत्रित करके आप नई पोटली में दोबारा उपयोग कर सकते हैं।
 
6. पवित्रता: यह पोटली धन और सौभाग्य का प्रतीक है, इसलिए इसे हमेशा शुद्ध और पवित्र स्थान पर ही रखें। इसे जमीन पर या अशुद्ध स्थान पर कभी नहीं रखना चाहिए।
 
7. स्थायी वास के लिए प्रार्थना: पोटली को तिजोरी में रखते समय माता लक्ष्मी से प्रार्थना करें कि वह आपके घर में स्थाई रूप से निवास करें और अन्न-धन की बरकत बनाए रखें।

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