Diwali deepak rules: दिवाली पर दीपक जलाने के इन नियमों को अपनाएंगे तो लक्ष्मी माता आएंगी आपके द्वार पर

WD Feature Desk

शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 (17:57 IST)
Rules for lighting lamps on Diwali: दिवाली का पर्व 'दीपोत्सव' के रूप में मनाया जाता है, जहाँ दीपकों की रोशनी अंधकार को दूर कर घर में सुख-समृद्धि लाती है। दीपकों का यह अनुष्ठान प्रदोषकाल (सूर्यास्त के बाद का समय) और उसके बाद के शुभ काल में किया जाता है। दीपावली की रात 13 दीपक जलाने का विशेष महत्व है। यह संख्या धन, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और पूरे घर में प्रकाश फैलाती है। इसी के साथ जानिए दीया जलाने के महत्वपूर्ण नियम और महत्व।
 
1. दिवाली पर दीपक जलाने का समय: दीपावली पर दीपक जलाने का सबसे अच्छा समय शाम को सूर्यास्त के बाद, प्रदोष काल के आसपास होता है। सूर्यास्त के बाद का समय, विशेष रूप से शाम 5:30 से रात 8:15 बजे तक का समय बहुत शुभ माना जाता है।
 
2. दीपावली पर 13 दीपक जलाने का महत्व और स्थान:-
पहला- मुख्य द्वार (देहरी)- यह दीपक देवी लक्ष्मी का स्वागत करता है और घर से नकारात्मक ऊर्जा को बाहर करता है। इसे घर की लक्ष्मी का प्रवेश द्वार माना जाता है।
दूसरा- पूजा स्थान- ईश्वर की कृपा और घर में शांति एवं सकारात्मक ऊर्जा का संचार बनाए रखता है।
तीसरा- तुलसी चौरा- स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि का प्रतीक। तुलसी के पास दीप जलाने से घर में बरकत बनी रहती है।
चौथा- रसोई घर- देवी अन्नपूर्णा का आशीर्वाद। यह घर में भोजन की बरकत और समृद्धि का प्रतीक है।
पाँचवाँ- आँगन- घर के वातावरण को शुद्ध और पवित्र रखता है।
छठा- खिड़की- घर के आसपास की ऊर्जा को शुद्ध करता है।
सातवाँ- छत/मुंडेर- यह दीपक पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
बाकी दीपक- (8 से 13) घर के विभिन्न हिस्से, दीवारें, गलियारे पूरे घर
 
विशेष परंपरा: दिवाली पर कुल देवी/देवता, यमराज (यम दीपक), और पितरों के लिए भी अलग से दीपक जलाए जाते हैं। दीये को मिट्टी के आसन या चावल के ऊपर रखना शुभ माना जाता है। दीये को पूर्व दिशा में रखना वास्तु के अनुसार अच्छा होता है। सफाई और सावधानी से जलाए गए दीपक अशुभ प्रभाव को कम करने और सकारात्मक ऊर्जा लाने में मदद करते हैं। 
3. विशिष्ट दीपक और उनका महत्व (मुखी/बाती/तेल):
दिवाली के दिन घर की दहलीज (देहरी) की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि इसमें सभी देवी-देवताओं का वास होता है। देहरी के आसपास घी का दीपक लगाकर पूजा करने से घर में लक्ष्मी का प्रवेश सरल होता है। देहरी पर रंगोली, स्वस्तिक, और सुपारी पर कलावा बांधकर रखने से भी धन लाभ होता है।
 
4. दिवाली पर सात मुखी और नौ बाती का दीपक:-
1. सात मुखी दीपक (घी का): माता लक्ष्मी की स्थायी कृपा बनाए रखने के लिए उनके समक्ष सात मुखों वाला घी का दीपक जलाना चाहिए।
2. नौ बाती का दीपक (घी का): यह भी कहा जाता है कि लक्ष्मी माता की मूर्ति के सामने नौ बाती वाला घी का दीपक जलाने से जल्दी धन लाभ मिलता है और आर्थिक मामलों में उन्नति होती है।
 
5. दीपक जलाने की दिशा और सामग्री:-
प्रकार- ईंधन (घी/तेल)- बत्ती- स्थान/उद्देश्य
1. देवी-देवता:- घी (सबसे शुभ)- सफेद खड़ी बत्ती (फूलबत्ती)- देवी-देवता को समर्पित। आर्थिक तंगी दूर करने के लिए।
2. मनोकामना:- तेल- लंबी बत्ती- मनोकामना की पूर्ति के लिए।
3. शीघ्र कर्ज मुक्ति:- गाय के शुद्ध घी- दीपावली की रात को देवालय (मंदिर) में जलाने से तुरंत कर्ज से छुटकारा मिलता है।
4. शनि पीड़ा:- सरसों या तिल का तेल- लाल/पीली बत्ती- शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए।
5. हनुमानजी की कृपा:- चमेली का तेल- तीन कोनों वाला दीपक- संकटहरण हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए।
6. शत्रु/सूर्यदेव:- सरसों का तेल- भैरवजी के यहाँ शत्रुओं से बचने और सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए।
7. पति की दीर्घायु:- महुए का तेल- घर के मंदिर में जलाने से पति की लंबी आयु की मनोकामना पूरी होती है।
8. राहु-केतु शांति:- अलसी का तेल- राहु और केतु ग्रहों की दशा को शांत करने के लिए।
 
6. घी का दीपक जलाने के स्वास्थ्य लाभ:-
शिव पुराण के अनुसार, घर या मंदिर में घी का दीपक जलाना सबसे शुभ माना जाता है, क्योंकि यह न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक लाभ भी देता है।
घी का दीपक जलाने से वायु शुद्ध होती है और हवा में मौजूद कीटाणुओं का नाश होता है।
इसकी सुगंध से मानसिक शांति मिलती है और डिप्रेशन दूर होता है।
माना जाता है कि घी में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक बल उत्पन्न करने की क्षमता होती है, जो त्वचा की रक्त कोशिकाओं को सक्रिय करता है, जिससे चर्मरोगों से बचाव होता है और वास्तुदोष भी दूर होता है।
तेरह दीपक जलाने की यह परंपरा सिर्फ रोशनी नहीं फैलाती, बल्कि यह पूरे घर को सकारात्मक ऊर्जा से भरकर जीवन में समृद्धि और खुशहाली का स्वागत करती है।

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