धन्वंतरि को हिन्दू धर्म में देवताओं के वैद्य माना जाता है। धन्वंतरि चिकित्सक माने जाते हैं। उन्हें देव पद प्राप्त हुआ है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धन्वंतरि भगवान विष्णु के अवतार समझे जाते हैं। उनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के दौरान हुआ था।
समुद्र मंथन में शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरि, चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती लक्ष्मी जी का सागर से अवतरण हुआ था। इसीलिए दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरि का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है।
* भगवान धन्वंतरि का मंत्र
भगवान धन्वंतरि की आराधना का अत्यंत साधारण मंत्र है:
॥ॐ धन्वंतराये नमः॥
उनका पारंपरिक पौराणिक मंत्र इस प्रकार है-
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
अर्थात्
परम भगवन को, जिन्हें सुदर्शन वासुदेव धन्वंतरि कहते हैं, जो अमृत कलश लिए हैं, सर्वभयनाशक हैं, सर्वरोग का नाश करते हैं, तीनों लोकों के स्वामी हैं और उनका निर्वाह करने वाले हैं, उन विष्णु स्वरूप धन्वंतरि को नमन है।