Traditions of Bhai Dooj: भाई-बहन के प्रेम का यह पवित्र त्योहार दिवाली के बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व के अन्य कई नाम है। जैसे- भाई टीका, भतरु द्वितीया, भाऊ बीज, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया। यह पर्व मुख्य रूप से बहन द्वारा भाई को अपने घर आमंत्रित करने और उनकी कुशलता की कामना करने पर केंद्रित है।
भाई दूज की परंपरा:
1. स्नान एवं संकल्प: बहनें प्रात:काल स्नान कर, अपने ईष्ट देव तथा भगवान विष्णु एवं गणेशजी का व्रत-पूजन करें।
2. भाई को आमंत्रण: रक्षा बंधन पर भाई बहन को बुलाता है, जबकि भाई दूज पर बहन अपने भाई को अपने घर बुलाती है।
3. तिलक की तैयारी: चावल के आटे से चौक (आसन) तैयार कर भाई को बैठाया जाता है।
4. तिलक/हथेली पूजा: बहनें भाई की हथेली पर चावल का घोल और सिन्दूर लगाकर, उस पर कद्दू के फूल, सुपारी और मुद्रा (सिक्का) रखती हैं और हाथों पर धीरे-धीरे पानी छोड़ती हैं। इसके बाद कलाइयों पर कलावा (मौली) बांधा जाता है।
5 आरती एवं मिष्ठान: भाई के माथे पर तिलक लगाने के बाद उनकी आरती उतारी जाती है और फिर माखन-मिश्री या अन्य मिठाई से मुंह मीठा कराया जाता है।
6. भोजन कराना: बहनें अपने हाथ से बना स्वादिष्ट भोजन भाई को प्रेमपूर्वक खिलाती हैं।
7. पान भेंट करना: भोजन के उपरान्त भाई को पान भेंट किया जाता है।
8. महत्व: मान्यता है कि पान भेंट करने से बहन का सौभाग्य अखंड रहता है।
9. उपहार: भाई अपनी बहन को आशीर्वाद देते हैं और सामर्थ्यानुसार उपहार भेंट करते हैं।
10. यम दीपम: संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुखा दीया जलाकर घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखती हैं।
11. देवताओं का पूजन: इस दिन विशेष रूप से मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन किया जाता है।
12.यमुना स्नान: इस दिन भाई-बहन का एक साथ यमुना नदी में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। इससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और जीवन में सुख-शांति आती है।
13. चील दर्शन: मान्यता है कि इस दिन आसमान में उड़ती हुई चील को देखकर बहनें जो प्रार्थना करती हैं, वह पूर्ण हो जाती है, और उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मिलता है।
14. कथा श्रावण: इस दिन यम और यमुना की कथा सुनते हैं। मान्यता है कि इसी दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन करने आए थे। यमुना ने प्रेम से यमराज को तिलक लगाया और भोजन कराया। प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना को वरदान दिया कि जो भी बहन इस दिन अपने भाई को आदर से बुलाकर, तिलक लगाकर भोजन कराएगी, उसे यम का भय नहीं होगा और वह अकाल मृत्यु से छुटकारा पाएगा।