National Epilepsy Day क्यों मनाते हैं? कारण, लक्षण और सावधानियां

प्रतिवर्ष 17 नवंबर को ‘नेशनल एपिलेप्‍सी डे’ (National Epilepsy Day ) मनाया जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो किसी भी मनुष्य को ब्रेन से जुड़े एक क्रोनिक रोग के कारण होती है। यह एक तंत्रिका संबंधी रोग है, जिसमें मस्तिष्क में अचानक विद्युत संकेतों का उत्सर्जन होता है, और परिणामस्वरूप मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैं। इस दिन को मनाने की शुरुआत इंटरनेशनल ब्‍यूरो और इंटरनेशनल लीग अगेंस्‍ट एपिलेप्‍सी द्वारा वर्ष 2015 से हुई थी। 
 
विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) की मानें तो दुनियाभर में करीब पचास लाख लोग मिर्गी रोग से ग्रसित हैं, तथा भारत भर में उनकी संख्या दस लाख के करीब है। अत: मिर्गी रोग प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल नवंबर के महीने में भार‍तभर में 17 नवंबर को 'राष्ट्रीय मिर्गी दिवस' मनाया जाता है तथा वर्ल्ड एपिलेप्सी डे (World Epilepsy Day) हर साल 14 फरवरी को मनाया जाता है, ताकि इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक कर सके।
 
वर्तमान समय में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश तथा भारतीय विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं मिलकर एक एल्गोरिदम विकसित किया है, जो मिर्गी की घटना तथा विभिन्न रूपों की पहचान करने के लिए मस्तिष्क स्कैन को डिकोड करने में मदद मिल सकती है। 
 
कारण- 
ब्रेन से जुड़े क्रोनिक रोग से मिर्गी आती है।  
यह एक मस्तिष्क विकार है, 
दिमाग के किसी भी हिस्से से तरंगों की वजह अकड़न महसूस होना, 
मस्तिष्क में असामान्य रूप से विद्युत का संचार होना, 
गर्भधारण में समस्याएं,
मानसिक समस्याएं। 
 
लक्षण- 
अनुवांशिक, 
दिमाग में चोट लगना, 
जन्म से पहले ही मस्तिष्क का क्षतिग्रस्त होना, 
मस्तिष्क में टयूमर और संक्रमण (दिमागी बुखार, वायरल इंसेफलटिस)
ब्रेन सेल्‍स में अचानक केमिकल रिएक्‍शन से मिर्गी का दौरा पड़ता है, 
मुंह से झाग निकलना, 
चक्‍कर आना, 
शरीर में जकड़न, 
बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई देना, 
 
सावधानियां- 
समय रहते इसका इलाज कराने से मिर्गी रोग से छुटकारा पाया जा सकता है। 
लोग मिर्गी को तंत्र, मंत्र तथा जादू टोने से ठीक करने की कोशिश करते हैं, जो कि सरासर गलत है। अत: इसके लिए आवश्‍यक इलाज जरूरी होता है। 
मिर्गी रोग को लेकर जागरूकता कार्यक्रम बढ़ाने से इस बीमारी से समय रहते उपचार मिल सकता है।
डीप ब्रेन स्टमयुलाजेशन (डीबीएस थेरेपी) काफी प्रभावी, सुरक्षित और कारगर है। 
चलते समय अचानक गिरने से चोट लगना, 
गाडी चलाते वक्त दुर्घटना की आंशका, 
मिर्गी के दौरे पड़ने से आकस्मिक दुर्घटना का खतरा बना रहता है, अत: मिर्गी रोगियों को वाहन चलाते समय अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। 
इस बीमारी को लेकर लोगों की सोच बदलने तथा जागरूकता रखने से इस रोग से काफी हद तक छुटकारा संभव है। 
 
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