इन दिनों बी-स्कूल में इंटरव्यू चल रहे हैं। लिखित परीक्षाओं में सफल अभ्यर्थियों को दूसरी चुनौती का प्रवेश पत्र मिल जाता है। स्वाभाविक है कि इंटरव्यू कॉल आने के बाद छात्रों का तनाव बढ़ता है। इस दौरान छात्रों की पूरी दिनचर्या इंटरव्यू और ग्रुप डिस्कशन की तैयारी पर केंद्रित हो जाती है। ऐसे में मॉक जीडीपीआई ग्रुप डिस्कशन एवं पर्सनालटी डेवेलपमेंट तैयारी का अहम हिस्सा बन जाते हैं।
जीडीपीआई के पहले का समय ऐसा होता है जिसमें किसी भी विषय की चर्चा पर हाजिरजवाबी के लिए खुद को तैयार करना होता है। एशिया पेसिफिक प्रबंधन संस्थान के डीन डॉ. चेतन बजाज कहते हैं कि पॉजीटिव एटीट्यूड जरूरी होता है। इसके अलावा हमेशा विषय केंद्रित रहें। साक्षात्कार पैनल के सामने खुद को कुशल प्रंबधक के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करें। शब्दों का सही प्रयोग व उच्चारण करें। चर्चा को तूल देने की कोशिश कतई न करें।
इससे संबंधित विशेषज्ञ कहते हैं कि प्रश्नों को पहले ठीक से समझें। स्पष्ट सुनने की आदत डालें। यही नहीं विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि शांत एवं नियंत्रित रहना जरूरी है। इसके अलावा सहज बने रहें।
संबंधित विशेषज्ञ कहते हैं कि पैनल सदस्यों से बातचीत करते रहें। साक्षात्कार के दौरान अपना आई कॉन्टेक्ट पैनल के सभी सदस्यों से बनाये रखें। ध्यान रहे कि पैनल में एक सदस्य आपके हावभाव पर नजर रखता है। इसीलिए आत्मविश्वास बनाए रखें। बनावटी दिखने की कोशिश न करें। यह महसूस होना चाहिए कि आपका भाषा पर पूरा नियंत्रण है। जिन शब्दों का उच्चारण करने में आपको परेशानी होती है उनको कतई न बोलें।
विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि धैर्य न खोयें और किसी भी तर्क को व्यक्तिगत न लें। समूह चर्चा करते समय अपने साथियों को विषय की गहराई में जाने के लिए प्रेरित करते रहें और अपने समूह को बोलने का मौका दें। उपोरक्त बिंदुओं को ध्यान में रखकर ही मॉक जीडीपीआई का अभ्यास करें। मॉक टेस्ट का हर साल फायदा तो होता ही है लेकिन ज्यादा लाभ तभी मिलता है जब मॉक जीडीपीआई असली जीडीपीआई जैसे तनाव भरे माहौल में किया जाए।