कोरोना वायरस से बचाव के लिए इन दिनों सरकार वैक्सीन पर अधिक जोर दे रही है। क्योंकि वर्तमान में कोरोना से बचाव के लिए एकमात्र यही उपचार है वैक्सीनेशन। हालांकि वैक्सीन के बाद भी कोविड के नियमों का पालन करना जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोविड वैक्सीन के दोनों डोज लगने के बाद भी हो सकता है। लेकिन आराम यह रहेगा कि आपको अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि देश में वैक्सीन को लेकर काफी किल्लत भी हो रही है इस वजह से कई सेंटर भी बंद किए गए है। लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ भ्रामक जानकारी फैल रही है जिसमें कहा जा रहा है कि निमोनिया का टीका कोरोना वायरस से रक्षा करता है। इसमें कितनी सच्चाई है? वायरल जानकारी की पुष्टि के लिए वेबदुनिया ने हेल्थ एक्सपर्ट से चर्चा की आइए जानते हैं क्या कहा -
वेबदुनिया को होम्योपैथी चिकित्सक डाॅ एके द्विवेदी ने बताया कि, जब तक हेल्थ मिनिस्ट्री या वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) नहीं कहते तब तक इस तरह के टीके नहीं लगवाना चाहिए। अगर इसे कोई बड़ी संस्था डब्ल्यूएचओ, आइसीएमआर प्रमाणित करता है तभी लगवाना चाहिए। केवल सोशल मीडिया पर चीजें वायरल होने से उसका प्रयोग नहीं करें।
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डाॅ भारत रावत ने बताया कि, यह भी निमोनिया ही है लेकिन हर साल अलग - अलग फ्लू वैक्सीन आती है। उसके लिए अलग - अलग तरह से वैक्सीन तैयार की जाती है। इसलिए अगर इसे लगाते भी है तो यह बहुत कम कारगर होगा। दूसरे वायरस की वैक्सीन का असर इस वायरस पर बहुत कम पड़ेगा।
सरकार ने भ्रामक जानकारी पर लगाया विराम
सोशल मीडिया पर निमोनिया के वैक्सीन को लेकर जानकारी धड़ल्ले से वायरल हो रही थी। जिस पर सरकार ने संज्ञान लेते हुए ट्वीटर पर पोस्ट कर लिखा निमोनिया के टीके एक विषिष्ठ जीवों के लिए होते हैं जो कई तरह से संक्रमण पैदा करते हैं। इससे कोविड-19 के संक्रमण को नहीं रोका जा सकता है। सरकार ने अफवाह पर रोक लगाते हुए कहा कि इस तरह की किसी भी अफवाह पर आंख बंद करके विश्वास नहीं करें। जागरूक रहें, सतर्क रहें और सुरक्षित रहें।