करें यह उपाय- विजयादशमी से एक दिन पूर्व सायंकाल अशोक वृक्ष की पंचोपचार पूजा-अर्चना करें, उसकी जड़ों में जल का सिंचन करें, उसके समीप गौघृत के दीप का प्रज्ज्वलन करने के उपरांत कुछ पीले चावल अर्पण कर उसे निमंत्रण देकर अपने घर आ जाएं फिर विजयादशमी के दिन आप प्रात:काल स्नान करने के उपरांत अशोक वृक्ष की पंचोपचार पूजा-अर्चना करें, उसकी जड़ों में जल का सिंचन करें, उसके समीप गौघृत के दीप का प्रज्ज्वलन करने के उपरांत उस अशोक वृक्ष से केवल एक पत्ता तोड़कर अपने सिर पर धारण कर अपने घर ले आएं। घर आने के पश्चात् पुन: उस पत्ते की पंचोपचार पूजा-अर्चना करें और उसे अपने तिजोरी या पूजा घर में ऐसे स्थान पर रखें, जहां बाहरी लोगों को वह दिखाई ना दें।
इस उपाय को करने के पश्चात् आपको अपने जीवन में इसके लाभ मिलने आरंभ हो जाएंगे। अगले दशहरे पर इस पत्ते को किसी बहते जल में प्रवाहित कर पुन: इसी विधि से नवीन पत्ता अपने घर लें आएं। कुछ वर्षों पश्चात् आप पाएंगे कि आपके जीवन से परेशानियां शनै: शनै: विदा हो रही हैं और उन्नति, प्रगति व सफलताएं आपके द्वार पर दस्तक देने लगी हैं।