रावण नाम का इस दुनिया में कभी दूसरा नहीं हुआ। राजाधिराज लंकाधिपति महाराज रावण को 'दशानन' भी कहते हैं। कहते हैं कि रावण लंका का तमिल राजा था। रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ ब्रह्मज्ञानी तथा बहुविद्याओं का जानकार था। उसे 'मायावी' इसलिए कहा जाता था कि वह इन्द्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था। उसके पास एक ऐसा विमान था, जो अन्य किसी के पास नहीं था। इस सभी के कारण सभी उससे भयभीत रहते थे। जैन शास्त्रों में रावण को प्रतिनारायण माना गया है। जैन धर्म के 64 शलाका पुरुषों में रावण की गिनती की जाती है।