Dussehra 2025: दशहरा पर शस्त्र पूजा, शमी पूजा, अपराजिता पूजा, वाहन खरीदी और रावण दहन का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि

WD Feature Desk

बुधवार, 1 अक्टूबर 2025 (16:01 IST)
Dussehra 2025: 02 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी अर्थात दशहरे के पर्व मनाया जाएगा। इस दिन दिन में अपराजिता देवी पूजा, दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, शस्त्र पूजा, शमी पूजा और रावण दहन करने की परंपरा है। वैसे तो दशहरे के दिन अबूझ मुहूर्त रहता है यानि इस दिन मुहूर्त देखकर कार्य करने की जरूरत नहीं परंतु फिर भी लोग शुभ मुहूर्त में मांगलिक कार्य करना पसंद करते हैं। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि।
 
दशहरा की दशमी तिथि और श्रवण नक्षत्र:
दशमी- 01-10-2025 को शाम 07:01 को प्रारंभ।
दशमी- 02-10-2025 को शाम 07:10 को समाप्त।
श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ- 02-10-2025 को सुबह 09:13 तक।
श्रवण नक्षत्र समाप्त- 03-10-2025 को सुबह 09:34 तक।
 
दशहरा पूजा का शुभ मुहूर्त:
नोट: दशहरा अबूझ मुहूर्त है इसमें पूरे दिन और रात ही रहता है शुभ मुहूर्त। इस दिन किसी भी कार्य को करने के लिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं रहती है।
देवी अपराजिता और शस्त्र पूजा की विधि: Method of Shastra Puja:-
स्नान और शुद्धिकरण: सुबह जल्दी स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और देवी अपराजिता के स्थान को स्वच्छ करें।
चौकी सजाना: एक चौकी पर साफ वस्त्र बिछाकर देवी अपराजिता की तस्वीर के सामने सभी शस्त्रों को व्यवस्थित तरीके से रखें। 
पवित्र करना: देवी के चित्र और शस्त्रों पर गंगाजल या स्वच्छ जल का छिड़काव करके उन्हें पवित्र करें। 
आभूषण और टीका: देवी कुंकू तिलक लगाएं, चावल और हल्दी चढ़ाएं और शस्त्रों पर मौली (रक्षासूत्र) बांधें और चंदन का टीका लगाएं। 
पुष्प-माला: देवी और शस्त्रों पर फूल और माला अर्पित करें। 
धूप-दीप: इसके बाद चंदन, अक्षत, धूप और दीप से विधि-विधान से पूजा करें।
मंत्र पाठ: देवी पूजा और शस्त्र पूजा के समय देवी मां काली या भगवान श्रीराम के मंत्रों का जाप करें।
नैवेद्य: पूजा के अंत में देवी अपराजिता और शस्त्रों को ऋतु फल और नैवेद्य अर्पित करें। 
आरती: अंत में अपराजिता देवी की आरती करके प्रसाद वितरण करें।
 
कैसे करें शमी पूजा:
शमी शम्यते पापं शमी शत्रुविनाशिनी।
अर्जुनस्य धनुर्धारी रामस्य प्रियदर्शिनी।।
 
नोट: शमी वृक्ष की तीन, पाँच या सात बार परिक्रमा करें। अंत में हाथ जोड़कर पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना करें। दशहरे के दिन शमी वृक्ष के नीचे गिरे हुए पत्ते (जिन्हें 'सोना' माना जाता है) उठाकर उन्हें अपनी तिजोरी या धन के स्थान पर रखना बहुत शुभ होता है। शमी के पत्ते कभी भी तोड़ने नहीं चाहिए, बल्कि वृक्ष के नीचे गिरे हुए पत्तों का ही उपयोग करना चाहिए।
 
रावण दहन महत्व: दशहरे पर बड़े-बड़े पुतले बनाए जाते हैं, जिनमें रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले प्रमुख हैं। इन पुतलों को शाम को आग लगाकर जलाया जाता है। यह रावण के अहंकार और बुराई के अंत का प्रतीक है। इस दिन बुराई को खत्म कर एक नई शुरुआत की जाती है। रावण के पुतले के दस सिर दस बुराइयों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, आदि) का प्रतीक हैं।

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