1. सुग्रीव को उसका अधिकार दिलाना : हनुमान मिलन के बाद हनुमानजी ने श्रीराम को वानरराज सुग्रीव से मिलाया। सुग्रीव ने बताया कि किस तरह उनके बड़े भाई बाली ने उन्हें राज्य से बेदखल कर दिया है जिसके चलते उन्हें किष्किंधा के इस पहाड़ पर शरण लेना पड़ी है। प्रभु श्रीराम ने बाली का वध करके सुग्रीव के किष्किंधा का सम्राट बनाया। बदले में सुग्रीन से रावण से लड़ने के लिए एक विशाल वानर सेना का गठन किया।
2. रामेश्वरम की स्थापना : श्रीराम ने अपनी सेना के साथ रामेश्वरम में पड़ाव डाला और वहां पर उन्होंने शिवजी का आहवान करने के लिए शिवलिंग की स्थापना करके उनका अभिषेक और पूजा की। उस स्थान पर आज भी वह शिवलिंग मौजूद है। श्रीराम ने रावण का वध करने के पूर्व नीलकंठ को देखा था। नीलकंठ को शिवजी का रूप माना जाता है। अत: दशहरे के दिन इसे देखना बहुत ही शुभ होता है।