मैसूर के दशहरे की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। भारत के प्रमुख स्थानों में से एक यहां भी विजयादशमी बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।
मैसूर का दशहरा पर्व ऐतिहासिक, धार्मिक संस्कृति और आनंद का अद्भुत सामंजस्य रहा है। यहां विजयादशमी के अवसर पर शहर की रौनक देखते ही बनती है शहर को फूलों, दीपों एवं बल्बों से सुसज्जित किया जाता है सारा शहर रोशनी में नहाया होता है जिसकी शोभा देखने लायक होती है।
अंतरराष्ट्रीय उत्सव :-
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मैसूर दशहरा का आरंभ मैसूर में पहाड़ियों पर विराजने वाली देवी चामुंडेश्वरी के मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के साथ शुरू होता है।
विजयादशमी के त्योहार में चामुंडी पहाड़ियों को सजाया जाता है। पारंपरिक उत्साह एवं धूमधाम के साथ दस दिनों तक मनाया जाने वाला यह उत्सव देवी दुर्गा चामुंडेश्वरी द्वारा महिषासुर के वध का प्रतीक होती है, यानी यह बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है।
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वर्तमान समय में मैसूर का दशहरा एक अंतरराष्ट्रीय उत्सव बन गया है और इस उत्सव में शामिल होने के लिए देश विदेश से अनेक पर्यटक मैसूर आते हैं। मैसूर के महल, फूलों और पत्तियों से सजे चढ़ावे, सांस्कृतिक कार्यक्रम सभी को आकर्षित करती हैं।
दशहरा उत्सव के आखिरी दिन कई अलंकृत हाथी एक साथ एक शोभायात्रा के रूप में निकाले जाते हैं। इनका नेतृत्व करने वाले विशेष हाथी की पीठ पर चामुंडेश्वरी देवी प्रतिमा रखी होती है, जिसे देखने के लिए विजयादशमी के दिन शोभायात्रा के मार्ग पर लोगों की भारी भीड़ जमा होती है व लोग इन पर फूलों की बारिश करते हैं।